गुवाहाटी में ‘सहजीवन’ परियोजना: आवारा कुत्तों की समस्या के मानवीय समाधान की पहल

गुवाहाटी में ‘सहजीवन’ परियोजना: आवारा कुत्तों की समस्या के मानवीय समाधान की पहल

गुवाहाटी नगर निगम (GMC) ने शहर में सार्वजनिक स्थानों पर बढ़ते आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए ‘सहजीवन’ नामक एक विशेष परियोजना शुरू की है। इस पहल का उद्देश्य है – कुत्तों की जनसंख्या नियंत्रण, टीकाकरण, पुनर्वास, और मनुष्य-पशु सहअस्तित्व को बढ़ावा देना। सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुरूप यह परियोजना संवेदनशील स्थलों जैसे स्कूलों और अस्पतालों से कुत्तों को सुरक्षित ढंग से हटाने और पुनः बसाने पर केंद्रित है।

आवारा कुत्तों के प्रबंधन की समग्र योजना

‘सहजीवन’ परियोजना के अंतर्गत गुवाहाटी नगर निगम ने आवारा कुत्तों को पकड़कर उन्हें टीका लगाने, बधियाकरण करने और फिर उन्हें निर्धारित आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने की योजना बनाई है। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य कुत्तों की संख्या में वृद्धि को रोकना और साथ ही उनके कल्याण को सुनिश्चित करना है। महापौर मृगेन सरनिया ने समुदाय में संवेदनशीलता और जागरूकता की आवश्यकता पर जोर दिया, क्योंकि सार्वजनिक असहयोग अक्सर टीकाकरण अभियानों में बाधा बनता है। सभी वार्डों में जनजागरूकता अभियान चलाए जाएंगे ताकि नागरिक पशु अधिकारों के प्रति संवेदनशील बनें।

क्रियान्वयन में आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ

परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन में कई चुनौतियाँ हैं, जैसे कि पर्याप्त मानव संसाधन की कमी, आश्रय स्थलों की संख्या में अभाव, सीमित चिकित्सा सुविधाएं, और जानवरों के लिए भोजन स्थल का अभाव। महापौर ने स्वीकार किया कि प्रगति धीमी हो सकती है, लेकिन निरंतर प्रयासों से समय के साथ एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण संभव है। 2014 से अब तक ‘जस्ट बी फ्रेंडली’ नामक स्थानीय एनजीओ के सहयोग से 24,000 से अधिक कुत्तों का बधियाकरण किया जा चुका है, फिर भी जनसंख्या नियंत्रण अब भी बड़ी चुनौती बनी हुई है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ‘सहजीवन’ परियोजना को गुवाहाटी नगर निगम ने आवारा कुत्तों के प्रबंधन और टीकाकरण के लिए शुरू किया।
  • यह पहल सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप सार्वजनिक स्थानों से कुत्तों को हटाकर पुनर्वासित करने पर केंद्रित है।
  • 2014 से अब तक गुवाहाटी में 24,000 से अधिक कुत्तों का बधियाकरण किया गया है।
  • असम में कुत्तों के काटने के मामले 2013 में 90,000 से बढ़कर 2024 में लगभग 1.5 लाख हो गए हैं।

शहरी सह-अस्तित्व की ओर एक करुणामयी कदम

‘सहजीवन’ परियोजना का उद्देश्य केवल सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करना नहीं, बल्कि पशुओं के प्रति करुणा और जागरूकता को भी बढ़ाना है। टीकाकरण, बधियाकरण और पुनर्वास जैसे उपायों को एक एकीकृत ढांचे में समाहित कर यह परियोजना अन्य शहरी केंद्रों के लिए भी एक मॉडल बन सकती है। नगर निगम का मानना है कि यदि नागरिक इस पहल में सक्रिय रूप से भाग लें, तो यह योजना दीर्घकालिक रूप से सफल हो सकती है और मनुष्य-पशु सहजीवन की एक नई संस्कृति स्थापित कर सकती है।

Originally written on November 10, 2025 and last modified on November 10, 2025.

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