गुजरात की 13 नदियों को प्रदूषित घोषित, साबरमती सबसे ज्यादा प्रभावित

गुजरात की 13 नदियों को प्रदूषित घोषित, साबरमती सबसे ज्यादा प्रभावित

लोकसभा में हाल ही में प्रस्तुत केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात की 13 नदी धाराओं को औपचारिक रूप से प्रदूषित घोषित किया गया है। इनमे से सबसे अधिक प्रदूषित नदी साबरमती पाई गई है, जिसका कुछ हिस्सा “प्राथमिकता-I” श्रेणी में रखा गया है — जो सबसे खराब श्रेणी मानी जाती है। यह मूल्यांकन जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (BOD) के आधार पर किया गया है, जो जल प्रदूषण का एक प्रमुख संकेतक है।

BOD के माध्यम से प्रदूषण की जांच

BOD उस ऑक्सीजन की मात्रा को मापता है जिसे जल में मौजूद सूक्ष्मजीव जैविक अपशिष्ट को विघटित करने में उपयोग करते हैं। उच्च BOD का अर्थ है अधिक जैविक कचरा और पानी में ऑक्सीजन की कमी, जो जलीय जीवन के लिए खतरा उत्पन्न करता है। साबरमती नदी का रायसन से वौथा तक का खंड सबसे अधिक प्रदूषित पाया गया है, जिसका BOD स्तर 292 मिलीग्राम प्रति लीटर दर्ज किया गया।

प्रदूषित नदी खंडों की श्रेणी

  • प्राथमिकता-I: 6 खंड (सबसे अधिक प्रदूषित)
  • प्राथमिकता-II, III, IV: प्रत्येक में 1 खंड
  • प्राथमिकता-V: 4 खंड (कम से कम प्रदूषित)

हालांकि, 2018 में 20 प्रदूषित खंड थे, जबकि 2022 में यह संख्या घटकर 13 रह गई है।

प्रदूषण के प्रमुख स्रोत

केंद्र सरकार के अनुसार, नदियों में प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं:

  • शहरी क्षेत्रों से अपशिष्ट जल और आंशिक रूप से शुद्ध किए गए सीवेज का निर्वहन
  • औद्योगिक अपशिष्टों का नदी में प्रवाह
  • ठोस अपशिष्टों का डंपिंग
  • कृषि से निकलने वाला रासायनिक अपवाह
  • सीवेज और एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट्स की खराब संचालन व्यवस्था

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • साबरमती, तापी और मिंढोला नदियों के संरक्षण हेतु ₹1,875.29 करोड़ की परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं।
  • इन परियोजनाओं के अंतर्गत 697 MLD (मिलियन लीटर प्रति दिन) सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता का निर्माण हुआ है।
  • 2018 में गुजरात की 20 नदी धाराएं प्रदूषित थीं, जो 2022 में घटकर 13 रह गईं।
  • साबरमती नदी का सबसे अधिक प्रदूषित खंड रायसन से वौथा तक है, जिसमें BOD 292 mg/L दर्ज हुआ।

लोकसभा में गुजरात के सांसद मुकेश दलाल द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर में यह भी स्पष्ट किया गया कि जल संसाधनों की स्थायित्व सुनिश्चित करने हेतु दीर्घकालिक योजनाओं का निर्माण किया गया है, और राज्यों एवं स्थानीय निकायों को यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है कि सभी सीवेज व औद्योगिक अपशिष्टों का समुचित उपचार हो, ताकि नदियों में प्रदूषण को रोका जा सके।
यह रिपोर्ट न केवल गुजरात बल्कि पूरे देश के लिए जल प्रबंधन और पर्यावरणीय सतर्कता की दिशा में गंभीर चिंतन का विषय बन गई है।

Originally written on August 2, 2025 and last modified on August 2, 2025.

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