गिनी-बिसाऊ में फिर सैन्य तख्तापलट, राष्ट्रपति उमारो सिसोको एम्बालो पदच्युत

गिनी-बिसाऊ में फिर सैन्य तख्तापलट, राष्ट्रपति उमारो सिसोको एम्बालो पदच्युत

पश्चिम अफ्रीकी देश गिनी-बिसाऊ एक बार फिर सैन्य नियंत्रण में चला गया है। 26 नवंबर को राष्ट्रपति भवन के पास गोलाबारी और विस्फोटों के बाद सेना ने राष्ट्रपति उमारो सिसोको एम्बालो को हटा दिया। यह घटना देश के लंबे और अशांत राजनीतिक इतिहास में एक और तख्तापलट जोड़ती है, जो इस राष्ट्र की लगातार अस्थिरता और गहरे राजनीतिक विभाजन को उजागर करती है।

तेज़ी से सत्ता पर सेना का कब्ज़ा

राजधानी में भारी गोलीबारी के कुछ घंटों बाद सैनिकों ने सरकारी टेलीविजन पर प्रकट होकर राष्ट्रपति को पदच्युत करने और एक “हाई मिलिटरी कमांड” के गठन की घोषणा की। देश की सीमाएँ बंद कर दी गईं, मीडिया प्रसारण रोक दिए गए और कर्फ्यू लगा दिया गया। यह घटना पिछले एक दशक में अफ्रीका में हुए 12वें सफल सैन्य तख्तापलट के रूप में दर्ज हुई है। गिनी-बिसाऊ में यह कोई नई बात नहीं है, जहाँ लोकतांत्रिक प्रक्रियाएँ अक्सर सशस्त्र हस्तक्षेपों के आगे झुक जाती हैं।

तख्तापलट के पीछे के चेहरे

इस सैन्य कार्रवाई का नेतृत्व ब्रिगेडियर जनरल डेनिस एन’कन्हा ने किया, जो राष्ट्रपति सुरक्षा दल के प्रमुख और बालांता जातीय समूह से आते हैं। वफादारी की प्रतिष्ठा के बावजूद, उन्होंने उसी राष्ट्रपति को हटाने का निर्णय लिया, जिसकी रक्षा का दायित्व उनके पास था। वहीं मेजर जनरल होर्टा एन्टा ना मैन, जो हाल ही तक चीफ ऑफ जनरल स्टाफ थे, को अंतरिम राष्ट्रपति घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि यह कदम नार्को-तस्करों द्वारा सत्ता हथियाने की कोशिशों को रोकने के लिए उठाया गया है और उन्होंने एक वर्ष के संक्रमणकालीन शासन का वादा किया है।

राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक संकट से जूझता देश

गिनी-बिसाऊ लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार और आपराधिक नेटवर्क का पर्याय रहा है। दुनिया के प्रमुख काजू उत्पादक देशों में शामिल होने के बावजूद इसकी लगभग 40% आबादी अत्यधिक गरीबी में जीवन बिता रही है। कमजोर संस्थागत ढांचे और बार-बार होने वाले सैन्य हस्तक्षेपों ने इसे लैटिन अमेरिका से यूरोप तक कोकीन तस्करी का केंद्र बना दिया है। चुनावी विवादों, संसद के बार-बार भंग होने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के टूटने ने जनता के भरोसे को गहराई से प्रभावित किया है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • गिनी-बिसाऊ ने 1974 में पुर्तगाल से स्वतंत्रता प्राप्त की।
  • यह यूएन मानव विकास सूचकांक में 174वें स्थान पर है।
  • काजू उत्पादन देश की कुल निर्यात आय का लगभग 80% है।
  • अफ्रीका में पिछले 10 वर्षों में 12 सफल सैन्य तख्तापलट हो चुके हैं।

क्षेत्रीय चिंता और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

इकोवास (ECOWAS), अफ्रीकी संघ (AU) और संयुक्त राष्ट्र (UN) ने इस तख्तापलट की निंदा करते हुए संवैधानिक व्यवस्था की बहाली की मांग की है। इस दौरान कई विदेशी गणमान्य व्यक्ति, जिनमें नाइजीरिया और मोज़ाम्बिक के पूर्व नेता शामिल थे, राजधानी में फंसे रहे। पर्यवेक्षकों का कहना है कि गिनी-बिसाऊ एक ऐसे चक्र में फँसा हुआ है जहाँ सैन्य शासन बार-बार लोकतंत्र की जगह ले लेता है, और नागरिक निराशा में चुप्पी साध लेते हैं।

Originally written on December 3, 2025 and last modified on December 3, 2025.

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