गहरे समुद्र की प्रजातियाँ संकट में: सतत मछली पालन की चुनौती

गहरे समुद्र की जैव विविधता आज गंभीर संकट के दौर से गुजर रही है। संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन (UNOC3) में फ्रांस के नीस शहर में प्रस्तुत खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की नई रिपोर्ट “Review of the State of World Marine Fishery Resources – 2025” में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि गहरे समुद्र की केवल 29 प्रतिशत मछली प्रजातियाँ ही सतत रूप से पकड़ी जा रही हैं। रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि इन प्रजातियों की जीवन शैली और जैविक गुणों के कारण इन्हें टिकाऊ रूप से दोहन करना अत्यंत चुनौतीपूर्ण है।

गहरे समुद्र की प्रजातियों की नाजुक स्थिति

FAO की रिपोर्ट के अनुसार गहरे समुद्र की मछलियों में धीमी वृद्धि दर, विलंबित परिपक्वता, लंबी जीवन अवधि, कम प्राकृतिक मृत्यु दर और विरल प्रजनन जैसे जैविक लक्षण होते हैं। इन कारणों से ये प्रजातियाँ अत्यधिक मछली पकड़ने के प्रति बेहद संवेदनशील हो जाती हैं। FAO “overfished” (अत्यधिक दोहन) की परिभाषा में उस स्थिति को रखता है जब किसी मछली प्रजाति की जनसंख्या अधिकतम सतत उत्पादन (MSY) स्तर के 80 प्रतिशत से भी नीचे पहुँच जाए।

शार्क और किरण प्रजातियों की स्थिति और प्रबंधन की कमी

गहराई में रहने वाली प्रवासी शार्कों की स्थिति भी चिंताजनक है। रिपोर्ट में बताया गया कि जिन 23 शार्क स्टॉक्स का विश्लेषण किया गया, उनमें से लगभग 43.5 प्रतिशत का अत्यधिक दोहन हो रहा है। ये शार्क अक्सर ट्यूना मछली पकड़ने की प्रक्रिया में बायकैच के रूप में पकड़ी जाती हैं। सबसे अधिक वार्षिक शार्क पकड़ उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों जैसे पश्चिमी मध्य प्रशांत, पूर्वी हिंद महासागर और पश्चिमी हिंद महासागर में होती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शार्क और रे मछलियों की जैविक संवेदनशीलता और वैश्विक प्रबंधन की कमी इनके संरक्षण प्रयासों को बाधित कर रही है।

वैश्विक मछली संसाधनों का मूल्यांकन

FAO ने इस रिपोर्ट के लिए दुनिया भर के 90 देशों की 200 से अधिक संस्थाओं के 600 से अधिक विशेषज्ञों के सहयोग से 2,570 मछली स्टॉक्स का विश्लेषण किया। वैश्विक स्तर पर 64.5 प्रतिशत स्टॉक्स जैविक रूप से टिकाऊ पाए गए, जबकि 35.5 प्रतिशत अत्यधिक दोहन की श्रेणी में हैं। FAO के मत्स्य पालन और जलकृषि विभाग के निदेशक मैनुएल बारांज ने कहा कि मछली संसाधनों का कुशल प्रबंधन ही दीर्घकालिक सततता का सर्वोत्तम उपाय है।

बेहतर प्रबंधन वाले क्षेत्रों की सफलता

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि जिन क्षेत्रों में क्षेत्रीय मछली पालन संगठन (RFMOs) सक्रिय हैं, वहां मछली पकड़ने की प्रक्रियाएं अधिक टिकाऊ पाई गईं। उदाहरण के लिए, हाई सीज़ में ट्यूना मछलियों के 87 प्रतिशत स्टॉक्स सतत पाए गए। इसके विपरीत, भूमध्य सागर और काला सागर में केवल 35.1 प्रतिशत, और दक्षिण-पूर्व प्रशांत में केवल 46.4 प्रतिशत स्टॉक्स ही टिकाऊ हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • FAO हर दो साल में विश्व मछली संसाधनों की स्थिति पर रिपोर्ट प्रकाशित करता है।
  • गहरे समुद्र की मछलियाँ देर से परिपक्व होती हैं और कम मात्रा में प्रजनन करती हैं।
  • ट्यूना मछलियों के लिए कार्यरत RFMOs को मछली पकड़ने के डेटा संग्रह और निगरानी में उच्च स्तर का माना गया है।
  • विश्व स्तर पर 35.5% मछली स्टॉक्स को “overfished” की श्रेणी में रखा गया है।

गहरे समुद्र की जैव विविधता का संरक्षण न केवल समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए आवश्यक है, बल्कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। इस दिशा में ठोस नीति निर्माण, डेटा आधारित निर्णय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग ही स्थायी समाधान प्रदान कर सकते हैं। FAO की यह रिपोर्ट एक चेतावनी है कि यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो गहरे समुद्र की कई अमूल्य प्रजातियाँ विलुप्ति की कगार पर पहुँच सकती हैं।

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