गगनयान मिशन का सुरक्षा कवच: क्रू एस्केप सिस्टम (CES) की पूरी जानकारी

गगनयान मिशन का सुरक्षा कवच: क्रू एस्केप सिस्टम (CES) की पूरी जानकारी

भारत का महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा की दृष्टि से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इस मिशन का लक्ष्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को लगभग 400 किलोमीटर की निम्न-पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit) में सुरक्षित पहुंचाना और वापस लाना है। इसके लिए इसरो ने मानव-सक्षम LVM3 (HLVM3) रॉकेट को लॉन्च व्हीकल के रूप में विकसित किया है। अंतरिक्ष अभियानों में मिशन की सफलता से कहीं अधिक क्रू की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाती है, और इसी उद्देश्य से क्रू एस्केप सिस्टम (CES) को विकसित किया गया है।

क्या है क्रू एस्केप सिस्टम (CES)?

क्रू एस्केप सिस्टम (CES) गगनयान मिशन का एक अनिवार्य सुरक्षा तंत्र है, जिसे विशेष रूप से मिशन के वायुमंडलीय चरण के दौरान आपात स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों की जान बचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह प्रणाली क्रू मॉड्यूल को मुख्य रॉकेट से अत्यधिक तीव्रता और गति से अलग कर सुरक्षित दूरी पर पहुंचा देती है। चूंकि HLVM3 रॉकेट के दो शक्तिशाली S200 ठोस ईंधन बूस्टर एक बार प्रज्वलित होने के बाद बंद नहीं किए जा सकते, इसलिए CES को उससे भी तेज़ी से काम करना होता है।
CES को लॉन्च व्हीकल के ऊपरी भाग में स्थापित किया गया है और इसमें विशेष प्रकार के ठोस प्रणोदक मोटर होते हैं जो उच्च जलन दर वाले ईंधन से चलते हैं। ये मोटर अत्यधिक त्वरण (acceleration) उत्पन्न करते हैं — गगनयान में यह 10 गुना गुरुत्वाकर्षण बल तक जा सकता है। हालांकि यह त्वरण केवल कुछ सेकंडों तक ही सहन किया जा सकता है, लेकिन “चाइल्ड इन क्रैडल” पोजिशन जैसी विशेष शरीर मुद्रा से यह सुरक्षित रहता है।

CES के प्रकार

CES को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:

  • पुलर प्रकार (Puller Type): गगनयान मिशन में प्रयुक्त प्रणाली, जिसमें CES क्रू मॉड्यूल को रॉकेट से खींचकर अलग करता है। इसे रूस, अमेरिका और चीन के मिशनों में भी उपयोग किया गया है।
  • पुशर प्रकार (Pusher Type): जैसे SpaceX का फाल्कन 9, जिसमें क्रू मॉड्यूल को धकेलकर अलग किया जाता है। इसमें आमतौर पर तरल ईंधन वाले उच्च-थ्रस्ट इंजन प्रयोग किए जाते हैं।

दोनों प्रणालियों के अपने-अपने फायदे और सीमाएं होती हैं, और इनका चयन प्रौद्योगिकी और मिशन एकीकरण के अनुसार किया जाता है।

CES की कार्यप्रणाली और तकनीकी सहायता

यदि CES को सक्रिय करना पड़े, तो यह क्रू मॉड्यूल को तेज़ी से अलग कर देता है और इसके बाद एक बहु-चरणीय पैराशूट प्रणाली के माध्यम से मॉड्यूल को सुरक्षित समुद्र में लैंड कराता है। इस दौरान गति को क्रमिक रूप से कम किया जाता है ताकि प्रभाव के समय अंतरिक्ष यात्रियों को कोई शारीरिक क्षति न हो।
संपूर्ण प्रणाली को ‘इंटीग्रेटेड व्हीकल हेल्थ मैनेजमेंट सिस्टम’ (IVHM) द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो सेंसर, इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर का समन्वय है। यह वाहन और क्रू के स्वास्थ्य को रीयल टाइम में ट्रैक करता है और किसी भी विसंगति की स्थिति में CES को शीघ्र सक्रिय कर देता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • गगनयान मिशन के लिए CES को पहली बार अक्टूबर 2023 में एकल चरणीय परीक्षण वाहन पर सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था।
  • इस परीक्षण के दौरान CES को तब सक्रिय किया गया जब वाहन ट्रांसोनिक अवस्था में था — यानी जब गति सुपरसोनिक बनने वाली होती है।
  • सोवियत संघ के सोयूज़ रॉकेट में 1983 में CES की मदद से दो अंतरिक्ष यात्रियों को प्रक्षेपण से पहले ही बचाया गया था — यह आज तक की एकमात्र घटना है जब CES को लॉन्च से पहले सक्रिय किया गया।
  • रूस का सोयूज़, अमेरिका का सैटर्न V और चीन का लॉन्ग मार्च जैसे रॉकेट भी पुलर प्रकार के CES का उपयोग करते हैं।
Originally written on October 16, 2025 and last modified on October 16, 2025.

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