खुदरा महंगाई मापने के तरीके में बड़ा बदलाव: ग्रामीण क्षेत्रों में भी किराया डेटा संग्रह
आगामी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) श्रृंखला में आवास सूचकांक की गणना में बड़े बदलाव की घोषणा करते हुए सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने कहा है कि अब शहरी के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों से भी मासिक किराया डेटा एकत्र किया जाएगा। यह बदलाव फरवरी 2026 से लागू होने वाली नई CPI श्रृंखला का हिस्सा होगा।
क्यों किया जा रहा है यह बदलाव?
मंत्रालय के अनुसार, यह कदम आवास सूचकांक को और अधिक “ठोस और प्रतिनिधिक” बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है। अब तक केवल शहरी क्षेत्रों से ही हर छह महीने में किराया डेटा लिया जाता था, जिससे सटीक मूल्यवृद्धि का आकलन कठिन होता था। कोविड-19 के बाद किरायों में तेज़ वृद्धि को देखते हुए इस बदलाव को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सरकारी आवास को हटाने का निर्णय
मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि नई पद्धति में सरकारी या नियोक्ता प्रदत्त आवासों को आवास सूचकांक से बाहर रखा जाएगा। अभी तक ऐसे आवासों के लिए कर्मचारियों को दिए जाने वाले मकान किराया भत्ता (HRA) को किराए का प्रॉक्सी मानकर CPI में शामिल किया जाता था, जो वास्तविक किराया बाजार को सही तरीके से प्रतिबिंबित नहीं करता।
ग्रामीण क्षेत्र में किराया डेटा का समावेश
2011-12 के HCES सर्वे में ग्रामीण क्षेत्रों के मकानों का अनुमानित किराया (imputed rent) उपलब्ध नहीं था, लेकिन 2023-24 के नए HCES में यह डेटा उपलब्ध है। इसके चलते अब पहली बार CPI के तहत ग्रामीण आवास सूचकांक भी तैयार किया जाएगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- वर्तमान CPI में आवास का भार शहरी क्षेत्रों के लिए 21.67% और समग्र भारत के लिए 10.07% है।
- नई पद्धति में हर महीने चयनित सभी मकानों से किराया डेटा लिया जाएगा, जबकि वर्तमान में केवल एक-छठे हिस्से से लिया जाता है।
- IMF के तकनीकी सलाहकारों के अनुसार, भारत में किराया मूल्य परिवर्तन “पैनल” पद्धति से मापा जाता है, जिसमें एक ही मकान की तुलना 6 महीने के अंतराल पर की जाती है।
- इस अंतर को मासिक स्तर पर लाने के लिए अब 6वें मूल का प्रयोग किया जाएगा।
क्या होगा असर?
यह बदलाव भारत में खुदरा महंगाई दर को मापने के तरीके को और अधिक सटीक और समावेशी बनाएगा। खासकर कम आय वर्ग और ग्रामीण परिवारों के लिए, जिनकी आय का बड़ा हिस्सा आवास पर खर्च होता है, उनके भले-बुरे को नीति में बेहतर रूप से शामिल किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त, यह बदलाव नीति निर्माताओं और आम जनता दोनों के लिए अधिक प्रासंगिक महंगाई आंकड़े उपलब्ध कराएगा।