खपत को बढ़ावा देने की नीति: आर्थिक गति को पुनर्जीवित करने की दिशा में भारत का कदम

भारत सरकार द्वारा घरेलू खपत को प्रोत्साहित करने की हालिया नीति पहल, ऐसे समय में अत्यंत आवश्यक बन गई है जब विकास के अन्य स्तंभ — निजी निवेश, निर्यात और कुछ हद तक सरकारी व्यय — या तो ठहर गए हैं या धीमे पड़ गए हैं। घरेलू मांग अब भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे प्रमुख और अपेक्षाकृत स्थिर इंजन बन गई है, जिसे गति देने के लिए केंद्र सरकार ने कर सुधारों से लेकर कर दरों में कटौती तक कई रणनीतिक प्रयास किए हैं।

अर्थव्यवस्था के चार स्तंभ: संतुलन की आवश्यकता

भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि चार स्तंभों पर निर्भर करती है:

  1. घरेलू खपत
  2. निजी निवेश
  3. सरकारी व्यय
  4. निवल निर्यात (Net Exports)

इनमें से केवल सरकारी पूंजीगत व्यय ने हाल के वर्षों में स्थिर वृद्धि दिखाई है, मुख्यतः आधारभूत ढांचे पर ध्यान केंद्रित करने वाली नीतियों के कारण। राज्यों को ब्याज-मुक्त ऋण देकर भी इस दिशा में सहयोग किया गया है।
हालाँकि, जैसा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संकेत दिया है, पूंजीगत व्यय में अब 30%-35% की तेज वृद्धि संभव नहीं है क्योंकि अन्य आवश्यक क्षेत्रों जैसे रक्षा और सामाजिक कल्याण पर भी खर्च बढ़ाना है।

निजी निवेश और निर्यात: उम्मीदें और चुनौतियाँ

  • निजी निवेश में हल्की वृद्धि तो हुई है, परंतु भारत को 6%-6.5% से ऊपर 8%+ विकास दर पर लाने के लिए यह अपर्याप्त है।
  • औद्योगिक क्षमता उपयोग 80% के स्तर को मार्च 2011 के बाद से पार नहीं कर पाया है — जो निजी निवेश को प्रेरित करने के लिए आवश्यक सीमा मानी जाती है।
  • निर्यात की स्थिति वैश्विक अनिश्चितताओं और अमेरिकी शुल्कों के कारण नाजुक है, जिससे यह विकास का अस्थिर स्तंभ बन गया है।

खपत: अब एकमात्र टिकाऊ विकल्प

देश में खपत बढ़ाने के दो मुख्य उपाय हैं:

  1. आय बढ़ाना
  2. कीमतें कम करना

GST दरों में कटौती, जो 22 सितंबर 2025 से प्रभावी हुई, कीमतों को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। FICCI के अध्ययन के अनुसार:

  • ग्रामीण भारत में 75% मासिक खर्च अब 0% या 5% GST स्लैब में है, पहले यह 56% था।
  • शहरी भारत में यह अनुपात 50% से बढ़कर 66% हो गया है।

आय बढ़ाने के लिए 2025 के बजट में आयकर दरों में कटौती की गई, परंतु यह उपभोग व्यवहार में बड़े बदलाव लाने के लिए पर्याप्त नहीं है। भारतीय उपभोक्ता अतिरिक्त आय का बड़ा हिस्सा अभी भी बचत में लगाते हैं।
वेतन वृद्धि एक अन्य मार्ग हो सकता है, लेकिन:

  • श्रम की अधिकता के कारण कंपनियों पर वेतन बढ़ाने का दबाव कम है।
  • कौशल की कमी इस प्रक्रिया को और धीमा करती है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत में सरकार ने 2025-26 में घरेलू खपत को बढ़ाने के लिए GST दरों में व्यापक कटौती की।
  • ग्रामीण मासिक व्यय का 75% अब 5% या उससे कम GST दरों में आता है।
  • निजी निवेश के लिए औद्योगिक क्षमता उपयोग का 80% पार करना आवश्यक माना जाता है।
  • निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक व्यापार मंदी का प्रतिकूल असर पड़ा है।

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