खनिज और खनन (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक 2025: भारत के खनिज क्षेत्र में बड़ा बदलाव

राज्यसभा ने 19 अगस्त 2025 को ‘खनिज और खनन (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2025’ पारित कर दिया, हालांकि विपक्षी सदस्यों ने इस दौरान सदन से वाकआउट किया। लोकसभा ने यह विधेयक पहले ही 12 अगस्त को पारित कर दिया था। यह विधेयक 1957 के मूल अधिनियम में संशोधन करता है और देश में खनिज क्षेत्र के व्यापार, खनन और विकास को नया आयाम देने का मार्ग प्रशस्त करता है।
प्रमुख संशोधन और बदलाव
यह विधेयक खनिज पट्टाधारकों को उनके मौजूदा खनन पट्टों में लिथियम, कोबाल्ट, निकेल जैसे दुर्लभ खनिजों को बिना अतिरिक्त रॉयल्टी के शामिल करने की अनुमति देता है। इससे भारत में क्रिटिकल मिनरल्स के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा जो मोबाइल, लैपटॉप, विमान और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों के लिए आवश्यक हैं।
इस विधेयक में ‘राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण न्यास’ का नाम बदलकर ‘राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण एवं विकास न्यास’ कर दिया गया है और इसका दायरा भी बढ़ाया गया है। अब इसका उपयोग समुद्री क्षेत्रों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी खनन विकास के लिए किया जा सकेगा।
व्यापार और पारदर्शिता के लिए नए प्रावधान
विधेयक के तहत केंद्र सरकार ‘खनिज एक्सचेंज’ नामक एक इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म स्थापित करेगी, जहाँ खनिजों और धातुओं का पंजीकरण और व्यापार हो सकेगा। इसके लिए सरकार द्वारा नियम निर्धारित किए जाएंगे, जिनमें रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया, शुल्क, इनसाइडर ट्रेडिंग की रोकथाम, और शिकायत निवारण प्रणाली शामिल होंगे।
इसके अतिरिक्त, ‘कैप्टिव माइंस’ (निर्दिष्ट उपयोग के लिए आरक्षित खदानें) को अब उत्पादन का 50% से अधिक भाग भी बेचने की अनुमति होगी, जिससे उनकी व्यावसायिक क्षमता बढ़ेगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- खनिज और खनन (विकास और विनियमन) अधिनियम पहली बार 1957 में लागू हुआ था।
- राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल मिशन की शुरुआत 34,000 करोड़ रुपये की लागत से की गई है।
- भारत में लिथियम, कोबाल्ट, निकेल जैसे दुर्लभ खनिजों की भारी मांग है, जो अधिकांश तकनीकी उपकरणों में आवश्यक हैं।
- गहराई से प्राप्त खनिजों के लिए पट्टा क्षेत्र में 30% (संयुक्त लाइसेंस) और 10% (खनन लाइसेंस) तक का विस्तार संभव होगा।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और विपक्ष की आपत्तियाँ
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण पर चर्चा की मांग की, जिसे उपाध्यक्ष घनश्याम तिवारी ने विधेयक से असंबंधित मानते हुए अस्वीकार कर दिया। इसके विरोध में विपक्ष ने सदन से वाकआउट किया। वामपंथी सांसद जॉन ब्रिटास ने विधेयक को ‘दूरगामी प्रभाव वाला’ बताया और इसे प्रवर समिति को भेजने की मांग की।
निष्कर्ष
खनिज और खनन संशोधन विधेयक 2025 भारत के खनिज क्षेत्र में पारदर्शिता, आधुनिकरण और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने वाला एक क्रांतिकारी कदम है। इससे देश में रणनीतिक खनिजों के उत्पादन को गति मिलेगी और विदेशी निर्भरता में कमी आएगी। हालांकि, विपक्ष की आपत्तियाँ यह दर्शाती हैं कि खनन क्षेत्र में तेजी से बदलाव के साथ सामाजिक, पर्यावरणीय और नीतिगत संतुलन बनाए रखना भी आवश्यक होगा।