क्या भारत ‘लिक्विडिटी ट्रैप’ में फँस गया है?

क्या भारत ‘लिक्विडिटी ट्रैप’ में फँस गया है?

महान अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड कीन्स ने 1930 के दशक की महामंदी के समय ‘लिक्विडिटी ट्रैप’ की अवधारणा प्रस्तुत की थी। यह वह स्थिति होती है जब ब्याज दरों को बेहद कम कर देने के बाद भी बाजार में ऋण (क्रेडिट) की माँग नहीं बढ़ती। इसका कारण यह होता है कि लोग अधिक पैसे खर्च करने या निवेश करने के बजाय उन्हें रोककर रखने को प्राथमिकता देते हैं। कोविड काल में वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों को न्यूनतम स्तर तक घटा दिया, लेकिन ऋण की माँग में अपेक्षित वृद्धि नहीं हुई — यह ‘लिक्विडिटी ट्रैप’ का स्पष्ट संकेत था। और आज भारत की स्थिति भी कुछ वैसी ही लग रही है।

ब्याज दरों में कटौती का सीमित असर

भारतीय रिजर्व बैंक ने फरवरी 2025 से अब तक 100 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की है। जमा दरों (डिपॉज़िट रेट्स) में यह कटौती पूरी तरह स्थानांतरित हो चुकी है, लेकिन ऋण दरों (लेंडिंग रेट्स) में यह ट्रांसमिशन अधूरा है। इसके बावजूद, क्रेडिट ग्रोथ स्थिर लेकिन मंद बनी हुई है — वर्ष के पहले पाँच महीनों में लगभग 10% की वृद्धि देखी गई, जो ‘बिग बैंग’ मांग का संकेत नहीं देती।
ऋण की माँग सिर्फ ब्याज दरों पर निर्भर नहीं होती। व्यवसायों के लिए वर्किंग कैपिटल का ऋण सस्ता जरूर होता है, लेकिन यदि बाजार में मांग कम हो या उत्पादन क्षमता पहले से ही अधिशेष में हो, तो निवेश के लिए ऋण लेने का कोई आर्थिक औचित्य नहीं होता।

सार्वजनिक पूंजी व्यय की अग्रणी भूमिका

ऐसे परिदृश्य में, सरकार का पूंजीगत व्यय (Capex) ही निवेश का प्रमुख स्रोत बना हुआ है। वित्त वर्ष 2025-26 में ₹11 लाख करोड़ से अधिक की पूंजीगत व्यय योजना घोषित की गई है। निजी क्षेत्र का निवेश मुख्यतः उन्हीं क्षेत्रों में केंद्रित है जहाँ सरकार पहले से अग्रणी भूमिका निभा रही है — जैसे बुनियादी ढांचा। उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्र में अब भी अधिशेष क्षमता बनी हुई है, जिससे यह स्पष्ट है कि मांग में सुधार आने के बाद ही निजी निवेश गति पकड़ेगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ‘लिक्विडिटी ट्रैप’ की अवधारणा जॉन मेनार्ड कीन्स ने 1930 के दशक में दी थी।
  • आरबीआई ने 2025 में अब तक 100 बेसिस पॉइंट्स की ब्याज दर में कटौती की है।
  • भारत के चार राज्यों में 70% से अधिक निर्यात केंद्रित है: गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, और कर्नाटक।
  • सरकार ने FY26 के लिए ₹11 लाख करोड़ का पूंजीगत व्यय तय किया है।
Originally written on September 27, 2025 and last modified on September 27, 2025.

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