क्या अत्यधिक गर्मी आपकी उम्र बढ़ा रही है? वैज्ञानिकों ने खोला जैविक वृद्धावस्था का एक नया रहस्य

क्या अत्यधिक गर्मी आपकी उम्र बढ़ा रही है? वैज्ञानिकों ने खोला जैविक वृद्धावस्था का एक नया रहस्य

गर्मी केवल शरीर को थका देने वाली नहीं है, बल्कि यह आपके शरीर को अंदर से तेज़ी से बूढ़ा भी बना सकती है। हाल ही में Science Advances (मार्च 2025) में प्रकाशित एक शोध से यह सामने आया है कि लंबे समय तक अत्यधिक गर्मी के संपर्क में रहने से जैविक वृद्धावस्था (biological aging) की गति बढ़ सकती है। इसका अर्थ है कि जलवायु परिवर्तन और गर्मी की लहरें हमारी आयु और स्वास्थ्य पर गहराई से असर डाल रही हैं — और वह भी एक अदृश्य, धीमे मगर निर्णायक तरीके से।

जैविक उम्र: डीएनए में छिपी उम्र की सच्चाई

अध्ययन में अमेरिका के 3,600 से अधिक वरिष्ठ नागरिकों के रक्त नमूनों का विश्लेषण किया गया। वैज्ञानिकों ने “एपिजेनेटिक क्लॉक्स” की मदद से जैविक उम्र मापी, जो डीएनए पर हो रहे मिथाइलेशन परिवर्तनों के आधार पर अनुमानित होती है। डीएनए मिथाइलेशन ऐसे रासायनिक परिवर्तन हैं जो जीन की सक्रियता को नियंत्रित करते हैं — और ये वातावरण से भी प्रभावित हो सकते हैं।
पशु अध्ययन पहले ही दिखा चुके हैं कि अत्यधिक गर्मी से “maladaptive epigenetic memory” बन सकती है — अर्थात्, जीन पर ऐसे बदलाव जो लंबे समय तक बने रहते हैं। यही प्रभाव मनुष्यों में भी देखा गया: जो लोग गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में रहते थे, उनमें जैविक उम्र उन लोगों की तुलना में औसतन 14 महीने अधिक थी, जो ठंडे इलाकों में रहते थे।

यह प्रभाव कितना गंभीर है?

सबसे चौंकाने वाला निष्कर्ष यह था कि अत्यधिक गर्मी से वृद्धावस्था में जितनी तेजी आती है, वह धूम्रपान या भारी मात्रा में शराब सेवन के प्रभाव के बराबर है। यह दर्शाता है कि गर्मी, एक अदृश्य लेकिन गंभीर पर्यावरणीय तनाव कारक बन चुकी है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • एपिजेनेटिक क्लॉक: डीएनए के मिथाइलेशन पैटर्न पर आधारित जैविक उम्र का सूचक।
  • मिथाइलेशन: जीन की अभिव्यक्ति को नियंत्रित करने वाला रासायनिक परिवर्तन।
  • गर्मी सूचकांक (Heat Index): तापमान और आर्द्रता के संयुक्त प्रभाव से महसूस होने वाली गर्मी।
  • जैविक उम्र: शरीर की कोशिकाओं की वास्तविक कार्यात्मक उम्र, जो कालानुक्रमिक उम्र से अलग हो सकती है।

दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव और नीति आवश्यकताएं

हालांकि इस अध्ययन में व्यक्तिगत स्तर पर नहीं, बल्कि समूह आधारित डेटा का विश्लेषण किया गया, फिर भी इसके नतीजे व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों के लिए चेतावनी हैं। खासकर बुज़ुर्ग लोगों के लिए, जो उम्र के साथ शरीर की गर्मी सहन करने की क्षमता खो देते हैं, और दवाओं के कारण स्थिति और गंभीर हो जाती है।
अत्यधिक गर्मी को केवल एक तात्कालिक स्वास्थ्य खतरा नहीं माना जाना चाहिए, बल्कि इसे एक दीर्घकालिक और संरचनात्मक स्वास्थ्य जोखिम के रूप में समझा जाना चाहिए। केवल ठंडे क्षेत्रों में स्थानांतरित होने की सलाह पर्याप्त नहीं है। इसके लिए जरूरी है:

  • गर्मी-उपयुक्त आवास
  • स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं की तैयारी
  • नवाचारपूर्ण कूलिंग समाधान
  • बुज़ुर्गों की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार नीति निर्माण

जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी की घटनाएँ बढ़ेंगी, यह आवश्यक हो जाएगा कि समाज और सरकारें न केवल इसके तत्काल प्रभावों पर, बल्कि दीर्घकालिक और अदृश्य प्रभावों पर भी ध्यान दें — ताकि उम्रदराज़ नागरिक सम्मान और स्वास्थ्य के साथ अपना जीवन जी सकें।

Originally written on June 30, 2025 and last modified on June 30, 2025.

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