कोविड-19 का नया संस्करण ‘निम्बस’ और ‘रेज़र ब्लेड’ गले की तकलीफ: जानिए क्या है NB.1.8.1 वेरिएंट

कोविड-19 एक बार फिर चर्चा में है। इस बार इसकी वजह बना है एक नया वेरिएंट — NB.1.8.1, जिसे ‘निम्बस’ (Nimbus) के नाम से भी जाना जा रहा है। इस वेरिएंट के कारण अमेरिका और चीन समेत कई देशों में मामलों में वृद्धि देखी जा रही है, और खासतौर पर एक लक्षण — बेहद तीव्र गले में दर्द, जिसे ‘रेज़र ब्लेड’ गले के रूप में बताया जा रहा है — चिंता का विषय बना हुआ है।
NB.1.8.1 वेरिएंट: क्या है ख़ास?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 23 मई 2025 को NB.1.8.1 को “variant under monitoring” यानी निगरानी में रखे जाने वाले वेरिएंट के रूप में वर्गीकृत किया है। यह वेरिएंट ओमिक्रॉन का ही एक उप-संस्करण है और फिलहाल वैश्विक स्तर पर इसका प्रतिशत बढ़ रहा है।
WHO की तकनीकी रिपोर्ट के अनुसार:
- यह वेरिएंट वैश्विक स्तर पर कम सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न करता है।
- मौजूदा टीके इसके खिलाफ प्रभावी माने जा रहे हैं, विशेषकर लक्षण और गंभीर रोग से बचाव में।
- इस वेरिएंट से जुड़े मामलों में गंभीरता या मृत्यु दर में कोई असामान्य वृद्धि नहीं देखी गई है।
लक्षण और ‘रेज़र ब्लेड’ गला
NB.1.8.1 से जुड़े लक्षण अधिकांश कोविड वेरिएंट्स जैसे ही हैं — बुखार, गले में खराश, खांसी, बहती नाक, और थकावट।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ मरीजों ने गले में चुभन या चाकू चलने जैसा दर्द महसूस किया है, जो निगलते समय बहुत अधिक पीड़ा देता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि यह लक्षण विशेष रूप से इसी वेरिएंट से जुड़ा है या अन्य संक्रमणों से।
भारत में स्थिति क्या है?
- अप्रैल 2025 में तमिलनाडु में NB.1.8.1 का एक मामला दर्ज किया गया।
- मई में गुजरात में LF.7 वेरिएंट के 4 मामले मिले।
- JN.1 अभी भी भारत में सबसे सामान्य वेरिएंट है, जो 53% मामलों में पाया गया।
- इसके बाद BA.2 (26%) और अन्य ओमिक्रॉन उप-संस्करण (20%) हैं।
- जून में INSACOG की रिपोर्ट के अनुसार, XFG वेरिएंट (LF.7 और LP.81.2 का संयोजन) भारत में अधिक सक्रिय है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- NB.1.8.1 को “Nimbus” नाम दिया गया है और यह Omicron का उप-संस्करण है।
- INSACOG (Indian SARS-CoV-2 Genomics Consortium) भारत में कोविड वेरिएंट की निगरानी करता है।
- XFG, JN.1.16 और अन्य ओमिक्रॉन उप-संस्करण अभी देश में फैल रहे हैं।
- भारत में 20 जून 2025 तक कुल 5,608 सक्रिय मामले दर्ज किए गए, जबकि इस वर्ष अब तक 120 मौतें हुई हैं।
क्या करें?
विशेषज्ञों के अनुसार, कोविड अब मौसमी संक्रमणों के साथ सह-अस्तित्व में है और 2020-21 जैसी लहरें फिर से आने की संभावना कम है। फिर भी, सावधानी जरूरी है:
- हाथों को बार-बार धोएं।
- भीड़-भाड़ से बचें।
- बुजुर्गों और कमजोर व्यक्तियों की अतिरिक्त सुरक्षा करें।
- लक्षण दिखने पर टेस्ट कराएं और ज़रूरत पड़ने पर मास्क पहनें।
इस प्रकार, जबकि नया वेरिएंट चिंता की वजह हो सकता है, वर्तमान जानकारी के अनुसार यह घातक नहीं है। सतर्कता और व्यक्तिगत स्वच्छता ही हमारी सबसे बड़ी रक्षा है।