कोयले पर दोहरी नीति: 2025 की शुरुआत में चीन और भारत ने प्रस्तावित की वैश्विक कोयला क्षमता का 88%

2025 की पहली छमाही में चीन और भारत ने मिलकर दुनिया भर में प्रस्तावित कोयला आधारित बिजली परियोजनाओं का लगभग 88% हिस्सा रखा, जिससे वैश्विक ऊर्जा संक्रमण की दिशा में एक जटिल परिदृश्य उभरकर सामने आया है। जहां यूरोप और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्र कोयले से दूरी बना रहे हैं, वहीं एशिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं कोयले और नवीकरणीय ऊर्जा दोनों को समानांतर रूप से आगे बढ़ा रही हैं।
चीन की कोयला रणनीति: सुरक्षा के लिए निर्माण
2025 की शुरुआत में चीन ने 74.7 गीगावॉट (GW) नई कोयला क्षमता प्रस्तावित की और छह महीनों में 21 GW को चालू भी कर दिया, जो पिछले नौ वर्षों में सबसे अधिक है। अगर यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो वर्ष के अंत तक यह आंकड़ा 80 GW तक पहुंच सकता है। यह उछाल 2021-22 की ऊर्जा संकट की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है, जब चीन ने ऊर्जा आपूर्ति में स्थिरता के लिए कोयले को प्राथमिकता दी थी।
हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि इतने बड़े पैमाने पर कोयला निर्माण के बावजूद चीन की कुल CO₂ उत्सर्जन में 2025 की पहली छमाही में लगभग 1% की गिरावट दर्ज की गई, जिसका श्रेय सौर, पवन और जलविद्युत जैसी नवीकरणीय ऊर्जा की तेज़ वृद्धि को दिया गया। नए कोयला संयंत्रों को मुख्यतः आपातकालीन या चरम मांग की स्थिति के लिए आरक्षित रखा जा रहा है।
भारत की दोहरी ऊर्जा नीति
भारत की नीतियों में भी एक दोहरा दृष्टिकोण नजर आता है। मार्च 2025 तक भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 220 GW से अधिक हो गई है, जो 2030 तक 500 GW के लक्ष्य की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके बावजूद, भारत की लगभग 70% बिजली अब भी कोयले से ही आती है।
इस वर्ष की पहली छमाही में भारत ने 5.1 GW नए कोयला संयंत्र चालू किए, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। भारत ने 2025 तक 92 GW नई कोयला परियोजनाओं का प्रस्ताव रखा है, जो पिछले लक्ष्यों से लगभग 60% अधिक है। इसके साथ ही, पुराने कोयला संयंत्रों को बंद करने की गति धीमी रही है, और प्रदूषण नियंत्रण नियमों को लागू करने में हो रही देरी इस जीवनकाल को और बढ़ा रही है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- 2025 की पहली छमाही में वैश्विक कोयला प्रस्तावों का 87% चीन और भारत से आया।
- चीन ने छह महीनों में 21 GW कोयला संयंत्र चालू किए, जो नौ वर्षों में सबसे अधिक है।
- भारत ने 2025 तक 92 GW नई कोयला क्षमता प्रस्तावित की है, जबकि नवीकरणीय क्षमता 220 GW पार कर गई है।
- यूरोप और लैटिन अमेरिका कोयला ऊर्जा से पूर्णतः बाहर निकलने की योजना बना चुके हैं, जैसे कि आयरलैंड ने जून 2025 में अपना आखिरी कोयला संयंत्र बंद किया।
इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि चीन और भारत की ऊर्जा रणनीतियाँ जटिल हैं — एक ओर ये दोनों देश नवीकरणीय ऊर्जा को तेजी से अपना रहे हैं, दूसरी ओर कोयले पर उनकी निर्भरता अभी भी बनी हुई है। यह दोहरी नीति वैश्विक जलवायु लक्ष्यों, विशेष रूप से पेरिस समझौते के 1.5°C लक्ष्य, को प्राप्त करने में बड़ी चुनौती पेश करती है। आने वाले वर्षों में इन दोनों देशों के निर्णय वैश्विक उत्सर्जन पथ और जलवायु की दिशा को निर्णायक रूप से प्रभावित करेंगे।