कोयला गैसीकरण को मिला नया प्रोत्साहन: खनन नीलामी में पहली बार UCG प्रावधान शामिल

कोयला गैसीकरण को मिला नया प्रोत्साहन: खनन नीलामी में पहली बार UCG प्रावधान शामिल

भारत सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम उठाते हुए, आगामी 14वें चरण की वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी में पहली बार भूमिगत कोयला गैसीकरण (Underground Coal Gasification – UCG) से संबंधित विशेष प्रावधानों को शामिल करने की घोषणा की है। इस पहल का उद्देश्य 2030 तक 100 मिलियन टन कोयले का गैसीकरण कर जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करना है।

UCG: गहराई में छिपे कोयले का उपयोग संभव

UCG तकनीक उन कोयला भंडारों के उपयोग की अनुमति देती है जो पारंपरिक खनन विधियों से अप्राप्य हैं। इसके माध्यम से कोयले को ज़मीन के भीतर ही गैस में बदला जाता है, जिससे इसे स्वच्छ और कुशल ऊर्जा स्रोत में परिवर्तित किया जा सकता है। यह नवाचार भारत को आयातित प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल पर निर्भरता से मुक्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

नीलामी के साथ डिजिटल बदलाव

बुधवार को शुरू होने वाली नीलामी में पूरी तरह और आंशिक रूप से खोजी गई कोयला खदानों को प्रस्तावित किया जाएगा, जिनमें अनुभवी खनिक, नई कंपनियाँ और तकनीकी स्टार्टअप्स भाग ले सकेंगे। कार्यक्रम का उद्घाटन कोयला और खनन मंत्री जी. किशन रेड्डी करेंगे।
इस अवसर पर दो डिजिटल मंच भी लॉन्च किए जाएंगे:

  • CLAMP (Coal Land Acquisition, Management and Payment) पोर्टल: यह एकीकृत प्लेटफॉर्म कोयला क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण, मुआवजा और पुनर्वास से जुड़ी प्रक्रियाओं को पारदर्शी और डिजिटल बनाएगा।
  • कोयला शक्ति डैशबोर्ड: यह एक वास्तविक समय पर आधारित मंच होगा जो कोयला क्षेत्र में पारदर्शिता, दक्षता और समन्वय को बेहतर बनाएगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • सरकार का लक्ष्य 2030 तक 100 मिलियन टन कोयले का गैसीकरण करना है।
  • UCG तकनीक अब पहली बार कोयला खदान नीलामी ढांचे का हिस्सा बनी है।
  • वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी की शुरुआत 2020 में हुई थी।
  • CLAMP और कोयला शक्ति जैसे डिजिटल पोर्टल पारदर्शिता और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा देंगे।

ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर भारत

वाणिज्यिक नीलामी ढांचे ने भारतीय कोयला क्षेत्र को प्रतिस्पर्धात्मक, पारदर्शी और निवेशोन्मुख बनाया है। इससे घरेलू उद्योगों को पर्याप्त कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित हुई है और आयात निर्भरता में उल्लेखनीय कमी आई है।

Originally written on October 29, 2025 and last modified on October 29, 2025.

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