कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में FGD इकाइयों की अनिवार्यता समाप्त करने की सिफारिश, सरकार की नई नीति पर विचार

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय सूद की अध्यक्षता में गठित एक उच्चस्तरीय समिति ने देशभर के कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों (TPPs) में फ्लू गैस डीसल्फराइजेशन (FGD) इकाइयों की अनिवार्यता को समाप्त करने की सिफारिश की है। यह सिफारिश भारत में पिछले एक दशक से लागू उस नीति के उलट है जिसमें सभी TPPs में FGD इकाइयों की स्थापना अनिवार्य की गई थी।

FGD इकाइयों की आवश्यकता पर पुनर्विचार

FGD इकाइयों का उद्देश्य सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) उत्सर्जन को कम करना है, जो कोयले के दहन से निकलता है। हालाँकि, CSIR-NEERI, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज, और IIT दिल्ली की रिपोर्टों के आधार पर समिति ने कहा कि:

  • भारत की वायु में SO2 का स्तर पहले से ही 10-20 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है, जो राष्ट्रीय मानक 80 माइक्रोग्राम से काफी नीचे है।
  • भारतीय कोयले में सल्फर की मात्रा कम होती है।
  • जिन संयंत्रों में FGD लगे हैं और जिनमें नहीं लगे, उन दोनों के पास के क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता में उल्लेखनीय अंतर नहीं पाया गया।

ऊर्जा उपभोग और CO2 उत्सर्जन में वृद्धि की चिंता

समिति का एक अन्य तर्क यह है कि FGD इकाइयाँ स्थापित करने से TPPs की सहायक ऊर्जा खपत (Auxiliary Power Consumption) बढ़ेगी, जिससे 2025-30 के दौरान लगभग 69 मिलियन टन अतिरिक्त CO2 उत्सर्जन होगा। यह स्थिति जलवायु परिवर्तन को और भी गंभीर बना सकती है, जबकि केवल 17 मिलियन टन SO2 उत्सर्जन ही घटेगा।

संयंत्रों की श्रेणियाँ और नई सिफारिशें

समिति ने TPPs को तीन श्रेणियों में बाँटा:

  • श्रेणी A: NCR और एक मिलियन से अधिक जनसंख्या वाले शहरों के 10 किमी के दायरे में स्थित संयंत्र (66 संयंत्र)। इनमें से केवल 14 में ही FGD लगे हैं। इन्हें 2027 तक अनुपालन करना है।
  • श्रेणी B: ‘गंभीर रूप से प्रदूषित’ और ‘गैर-प्राप्ति वाले शहरों’ के 10 किमी दायरे वाले संयंत्र (72 संयंत्र)। इनमें से केवल चार में FGD लगे हैं। समिति ने इन्हें केस-टू-केस आधार पर छूट देने की सिफारिश की है।
  • श्रेणी C: अन्य सभी संयंत्र (462 संयंत्र), जिनमें से केवल 32 में FGD लगे हैं। इन संयंत्रों को पूरी तरह से छूट देने की सिफारिश की गई है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • FGD (Flue Gas Desulphurisation): एक तकनीक जो सल्फर डाइऑक्साइड गैस को फ्लू गैस से हटाने के लिए प्रयुक्त होती है।
  • NAAQ (National Ambient Air Quality) Standards: CPCB द्वारा अधिसूचित राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक, जो SO2 सहित विभिन्न प्रदूषकों के लिए सीमा निर्धारित करते हैं।
  • CO2 बनाम SO2 उत्सर्जन: CO2 दीर्घकालिक ग्रीनहाउस गैस है जबकि SO2 अल्पकालिक गैस है जो एसिड रेन और सांस की बीमारियाँ उत्पन्न कर सकती है।
  • भारत में कोयला बिजली उत्पादन: भारत की लगभग 70% बिजली कोयले से चलने वाले TPPs से उत्पन्न होती है।

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