कोचिंग पर निर्भरता कम करने और स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने को लेकर केंद्र सरकार की समिति गठित

कोचिंग पर निर्भरता कम करने और स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने को लेकर केंद्र सरकार की समिति गठित

केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने देशभर में छात्रों की कोचिंग संस्थानों पर बढ़ती निर्भरता को कम करने, प्रतियोगी परीक्षाओं की निष्पक्षता का आकलन करने और स्कूली शिक्षा व्यवस्था की कमियों को दूर करने के उद्देश्य से एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। इस नौ सदस्यीय समिति का नेतृत्व उच्च शिक्षा सचिव विनीत जोशी करेंगे।

समिति का गठन: उद्देश्य और सदस्य

यह समिति स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा के बीच की खाई, और छात्रों द्वारा कोचिंग सेंटरों पर बढ़ती निर्भरता के कारणों का अध्ययन करेगी। समिति में शामिल प्रमुख सदस्य हैं:

  • सीबीएसई के अध्यक्ष
  • स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के संयुक्त सचिव
  • IIT मद्रास, NIT त्रिची और IIT कानपुर के प्रतिनिधि
  • एनसीईआरटी (NCERT) के प्रतिनिधि
  • एक-एक प्रधानाचार्य: केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और एक निजी स्कूल से

प्रमुख अध्ययन क्षेत्र

सरकारी आदेश के अनुसार, समिति निम्नलिखित मुद्दों पर विचार करेगी:

  • स्कूली शिक्षा में आलोचनात्मक सोच, तर्क क्षमता, विश्लेषणात्मक कौशल और नवाचार की कमी।
  • रटंत शिक्षण पद्धति के प्रभाव।
  • डमी स्कूलों की उत्पत्ति के कारण और उनका छात्रों को पूर्णकालिक कोचिंग की ओर प्रेरित करने में योगदान।
  • फॉर्मेटिव असेसमेंट्स की अनुपस्थिति और उसका छात्रों की वैचारिक समझ और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी पर प्रभाव।
  • प्रतिष्ठित संस्थानों में सीमित सीटों और गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा की मांग में असंतुलन, जो छात्रों को कोचिंग की ओर ले जाता है।

कोचिंग संस्कृति और करियर मार्गदर्शन

समिति को निम्न पहलुओं पर भी विचार करना है:

  • प्रतियोगी परीक्षाओं की निष्पक्षता और प्रभावशीलता का स्कूली शिक्षा की पृष्ठभूमि में आकलन।
  • कोचिंग संस्थानों द्वारा भ्रामक विज्ञापनों और चयनात्मक सफलता कहानियों के प्रचार की समीक्षा।
  • छात्रों और अभिभावकों में करियर विकल्पों की जानकारी की कमी, जिससे कुछ चुनिंदा संस्थानों पर अत्यधिक निर्भरता बनती है।
  • स्कूलों और कॉलेजों में करियर काउंसलिंग सेवाओं की उपलब्धता और प्रभावशीलता का मूल्यांकन।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • डमी स्कूल वे संस्थान होते हैं जिनमें छात्र केवल औपचारिक नामांकन लेते हैं और पूरी पढ़ाई कोचिंग संस्थानों में करते हैं।
  • फॉर्मेटिव असेसमेंट्स वे मूल्यांकन होते हैं जो पढ़ाई के दौरान छात्र की प्रगति को निरंतर मापते हैं, जिससे शिक्षण प्रक्रिया को लचीला और अनुकूल बनाया जा सके।
  • भारत में JEE, NEET और CUET जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के कारण कोचिंग उद्योग तेजी से बढ़ा है और अनुमानित तौर पर यह ₹60,000 करोड़ से अधिक का बाजार बन चुका है।
  • नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 में स्कूलों को सोच आधारित, रचनात्मक और करियर उन्मुख शिक्षा प्रणाली अपनाने पर बल दिया गया है।

यह समिति स्कूली शिक्षा को वास्तविक ज्ञान, सोचने की क्षमता और करियर मार्गदर्शन के साथ सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल है। इसके सुझावों से न केवल कोचिंग पर निर्भरता घटेगी, बल्कि स्कूल शिक्षा की मूल गुणवत्ता में भी सुधार की अपेक्षा है।

Originally written on June 21, 2025 and last modified on June 21, 2025.

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