कॉस्मिक डॉन की फुसफुसाहट सुनने को तैयार भारत का PRATUSH मिशन

ब्रह्मांड के इतिहास में एक रहस्यमयी अध्याय है — कॉस्मिक डॉन, जब सबसे पहले तारे और आकाशगंगाएँ अस्तित्व में आए थे। इस समय ब्रह्मांड में जीवन और प्रकाश की शुरुआत हुई थी, जिसने उसकी दिशा को सदा के लिए बदल दिया। लेकिन आज भी इस युग के बारे में वैज्ञानिक जानकारी सीमित है। इसी रहस्य को सुलझाने के लिए भारत के रामन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) ने एक अनोखा अंतरिक्ष पेलोड PRATUSH विकसित किया है।
PRATUSH: भारत का चंद्रमा से ब्रह्मांड की आवाज़ें सुनने वाला मिशन
PRATUSH (Probing ReionizATion of the Universe using Signal from Hydrogen) एक रेडियोमीटर मिशन है, जिसे भविष्य में चंद्रमा की पिछली ओर (far-side) की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। यह स्थान ब्रह्मांड से आने वाले अत्यंत क्षीण रेडियो संकेतों को पकड़ने के लिए सबसे शांत और उपयुक्त माना जाता है, क्योंकि यहां पृथ्वी की रेडियो तरंगों और वायुमंडलीय विकृतियों का कोई प्रभाव नहीं होता।
तकनीकी नवाचार: छोटे आकार में विशाल क्षमता
PRATUSH का सबसे उल्लेखनीय पहलू है इसका कॉम्पैक्ट डिजिटल रिसीवर सिस्टम, जो एक क्रेडिट कार्ड के आकार के सिंगल-बोर्ड कंप्यूटर (SBC) — Raspberry Pi — पर आधारित है।
- यह SBC एंटीना, रिसीवर और FPGA (Field Programmable Gate Array) चिप के बीच समन्वय करता है।
- यह न केवल हाई-स्पीड रेडियो डेटा को रिकॉर्ड करता है, बल्कि स्वयं ही कैलिब्रेशन और प्राथमिक प्रोसेसिंग भी करता है।
- अंतरिक्ष मिशनों की सीमाओं — कम वजन, कम ऊर्जा खपत और कम आकार — को ध्यान में रखते हुए यह डिज़ाइन किया गया है।
प्रदर्शन परीक्षणों में, यह प्रणाली 352 घंटों तक डेटा संग्रह में अत्यंत कम शोर स्तर (सिर्फ कुछ मिलीकेल्विन) बनाए रखने में सफल रही — जो इसकी असाधारण संवेदनशीलता को दर्शाता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- कॉस्मिक डॉन वह काल है जब ब्रह्मांड में पहली बार तारे जले — इसकी जानकारी 21 सेमी हाइड्रोजन रेडियो सिग्नल से प्राप्त हो सकती है।
- यह सिग्नल अत्यंत क्षीण होता है और पृथ्वी पर FM और अन्य रेडियो सिग्नलों के कारण पकड़ में नहीं आता।
- PRATUSH मिशन भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्तपोषित रामन रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित किया गया है।
- SBC आधारित रिसीवर पारंपरिक भारी और ऊर्जा खपत करने वाले उपकरणों की तुलना में अधिक किफायती और व्यावहारिक है।
निष्कर्ष
PRATUSH मिशन यह दर्शाता है कि कैसे एक छोटा SBC कंप्यूटर, ब्रह्मांड की सबसे पुरानी और क्षीण ‘आवाज़’ को सुनने का मास्टरमाइंड बन सकता है। यह मिशन न केवल भारत की अंतरिक्ष तकनीक में नवाचार की क्षमता को प्रदर्शित करता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर ब्रह्मांडीय अन्वेषण की दिशा में एक नया द्वार खोलता है। अगर यह मिशन सफल होता है, तो यह बताने में सक्षम होगा कि पहले सितारों ने ब्रह्मांड को कैसे आकार दिया, और संभव है कि यह भौतिकी के नए सिद्धांतों की खोज का मार्ग भी प्रशस्त करे।