कैसे एक ‘फीका’ जीन बन गया घातक संक्रमणों का कारक

कैसे एक ‘फीका’ जीन बन गया घातक संक्रमणों का कारक

फ्रांसीसी बायोकेमिस्ट जैक मोनोद ने कहा था, “जो एस्चेरिचिया कोलाई (E. coli) के लिए सही है, वही हाथी के लिए भी सही है।” उन्होंने यह बताकर जीवविज्ञान के उस सार्वभौमिक सिद्धांत की ओर इशारा किया था कि सभी जीवों में बुनियादी जैविक प्रक्रियाएं समान होती हैं। लेकिन अगर हम सूक्ष्म स्तर पर देखें, तो एक ही जीवाणु उपनिवेश की दो कोशिकाएं, जिनका जीनोम एक समान हो, वे भी जीन की अभिव्यक्ति (gene expression) में भिन्न हो सकती हैं। यही भिन्नता एपिजेनेटिक विरासत और द्विस्थायित्व (bistability) की ओर इशारा करती है — एक ऐसी रणनीति जिससे एकल-कोशिकीय जीव परिवेश में बदलावों के अनुकूल हो पाते हैं।

glpD जीन और Pseudomonas aeruginosa की चौंकाने वाली चालाकी

जर्मनी के हेल्महोल्त्ज़ सेंटर फॉर इन्फेक्शन रिसर्च के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में किए गए एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि Pseudomonas aeruginosa नामक खतरनाक बैक्टीरिया में glpD नामक जीन द्विस्थायिता (bistable expression) दिखाता है। यह खोज महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि यह बैक्टीरिया जलने के शिकार रोगियों, नेत्र संक्रमण (keratitis), मूत्र कैथेटर और अस्पतालों में होने वाले संक्रमणों में जानलेवा भूमिका निभाता है, और एंटीबायोटिक प्रतिरोध के लिए कुख्यात है।

जीन अभिव्यक्ति को ट्रैक करने का अभिनव तरीका

वैज्ञानिकों ने लगभग 300 P. aeruginosa उपभेदों में जीनों से बने RNA ट्रांसक्रिप्ट्स का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि glpD जीन, जो आमतौर पर उच्च-अभिव्यक्ति जीन (HEG) है, उसकी ट्रांसक्रिप्ट मात्रा में अत्यधिक भिन्नता पाई गई — जो सामान्य HEGs के लिए असामान्य है। इसके संकेत मिले कि यह जीन कुछ कोशिकाओं में HEG की तरह और कुछ में LEG (low expression gene) की तरह व्यवहार कर रहा है।
इस जांच के लिए वैज्ञानिकों ने glpD के प्रोमोटर क्षेत्र को एक हरे फ्लोरोसेंट प्रोटीन (GFP) से जोड़ा, जिससे glpD के सक्रिय होने पर कोशिकाएं हरे रंग में चमक उठें। परिणामस्वरूप, केवल कुछ कोशिकाएं ही ‘ऑन’ स्थिति में थीं और उन्होंने यह स्थिति कई पीढ़ियों तक बनाए रखी।

रोगजनन और glpD के बीच संबंध

अध्ययन में यह भी देखा गया कि glpD को निष्क्रिय कर देने पर बैक्टीरिया की मोम कीट (Galleria mellonella) की लार्वा को मारने की क्षमता काफी कम हो गई। इससे सिद्ध हुआ कि glpD की अभिव्यक्ति और रोगजनकता (pathogenicity) के बीच सीधा संबंध है। इसके अलावा, जब इन बैक्टीरिया को चूहों की मैक्रोफेज प्रतिरक्षा कोशिकाओं के साथ जोड़ा गया, तो glpD जीन की अभिव्यक्ति और अधिक बढ़ गई — यह संकेत है कि यह जीन मानव जैसे जीवों के साथ संपर्क में आने पर सक्रिय हो जाता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • Pseudomonas aeruginosa एक ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया है जो अस्पतालों में संक्रमण फैलाने के लिए कुख्यात है।
  • glpD जीन ग्लिसरॉल उपयोग के लिए आवश्यक होता है और बैक्टीरिया की ऊर्जा चक्र प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाता है।
  • GFP (Green Fluorescent Protein) जीन अभिव्यक्ति की निगरानी के लिए जैवप्रौद्योगिकी में व्यापक रूप से उपयोग होता है।
  • Bistability वह स्थिति है जहां एक समान जीनोम वाली कोशिकाएं भी व्यवहार में भिन्नता प्रदर्शित करती हैं — यह जीवों की अनुकूलन क्षमता को दर्शाता है।

इस अध्ययन ने रोगजनक बैक्टीरिया की जटिल रणनीतियों की एक झलक दी है और यह दिखाया कि कैसे सूक्ष्म जीन अभिव्यक्ति में परिवर्तन किसी संक्रमण की गंभीरता को प्रभावित कर सकता है। यह शोध न केवल बायोलॉजी के बुनियादी सिद्धांतों को चुनौती देता है, बल्कि नई चिकित्सीय रणनीतियों के लिए रास्ता भी खोलता है — खासकर एंटीबायोटिक प्रतिरोधी संक्रमणों से लड़ने में।

Originally written on August 22, 2025 and last modified on August 22, 2025.

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