कैंसर उपचार में SPArc तकनीक से नई उपलब्धि: प्रोटॉन आर्क थेरेपी का पहला सफल उपयोग

अमेरिका के कोरवेल हेल्थ विलियम बॉमोंट यूनिवर्सिटी अस्पताल की विशेषज्ञ टीम ने कैंसर के एक दुर्लभ प्रकार, एडेनोइड सिस्टिक कार्सिनोमा, के इलाज में पहली बार स्टेप-एंड-शूट स्पॉट-स्कैनिंग प्रोटॉन आर्क थेरेपी (SPArc) तकनीक का सफल उपयोग किया है। यह उपलब्धि जून 2025 के इंटरनेशनल जर्नल ऑफ पार्टिकल थेरेपी में प्रकाशित हुई है, और इसे कैंसर उपचार की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है।

SPArc तकनीक क्या है?

SPArc तकनीक प्रोटॉन किरणों द्वारा कैंसर कोशिकाओं को सटीक रूप से निशाना बनाकर इलाज करती है, जिससे स्वस्थ ऊतक सुरक्षित रहते हैं। यह तकनीक दो प्रकार की होती है:

  • स्टेप-एंड-शूट SPArc: मशीन पूर्व निर्धारित कोणों पर विकिरण देती है।
  • डायनामिक SPArc: मशीन लगातार ऊर्जा और बीम का स्थान बदलती रहती है, जिससे अधिक लचीलापन और सटीकता मिलती है।

अध्ययन में तीन तकनीकों की तुलना की गई:

  1. SFO-IMPT (वर्तमान मानक)
  2. स्टेप-एंड-शूट SPArc
  3. डायनामिक SPArc (कंप्यूटर सिमुलेटेड)

SPArc तकनीक ने संवेदनशील अंगों में विकिरण की मात्रा को काफी कम किया:

  • ब्रेनस्टेम में 10%
  • ऑप्टिकल चायाज्म में 56%
  • मुख गुहा में 72%
  • स्पाइनल कैनाल में 90% तक की कमी

पहले मरीज का अनुभव और उपचार प्रक्रिया

पहली मरीज 46 वर्षीय महिला थीं, जिनके पेरोटिड ग्रंथि का कैंसर चेहरे की नस के माध्यम से खोपड़ी के आधार तक फैल गया था। उन्हें जून-अगस्त 2024 में कुल 33 सत्रों में SPArc थेरेपी दी गई।

  • सत्र की अवधि: 15–18 मिनट
  • तकनीक: 180° कोणीय आर्क में नौ बीम एंगल
  • साइड इफेक्ट: केवल मामूली त्वचा जलन, सामान्य जीवनशैली बनी रही

हर सत्र से पहले CBCT स्कैन कर सिंथेटिक CT तैयार किया गया, जिससे बीम की स्थिति ट्रैक की गई। उपचार के दौरान वजन में गिरावट आने पर ट्यूमर पर विकिरण कवरेज में 3–5% कमी आई, जिसे सत्र 13 से समायोजित किया गया।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • SPArc तकनीक का यह पहला क्लिनिकल उपयोग था; डायनामिक वर्जन अभी विकासाधीन है और नियामकीय स्वीकृति की प्रतीक्षा में है।
  • एडेनोइड सिस्टिक कार्सिनोमा एक दुर्लभ कैंसर है जो लार ग्रंथियों में उत्पन्न होता है और नसों के रास्ते फैल सकता है।
  • प्रोटॉन बीम थेरेपी पारंपरिक एक्स-रे आधारित रेडिएशन की तुलना में अधिक सटीक होती है और यह कम दुष्प्रभाव उत्पन्न करती है।
  • सटीक विकिरण चिकित्सा का एक खतरा ‘जियोग्राफिकल मिस’ है—छोटे ट्यूमर का छूट जाना, जो सांस लेने या ट्यूमर के सिकुड़ने से हो सकता है।

नई तकनीक, नई चुनौतियाँ

बेंगलुरु के एस्टर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑन्कोलॉजी के डॉ. नारायण सुब्रमणियन ने इस तकनीक को “जटिल स्थानों जैसे खोपड़ी के आधार पर स्थित ट्यूमर” के लिए अत्यंत उपयोगी बताया। लेकिन उन्होंने यह भी चेताया कि:

  • उच्च लागत के कारण यह तकनीक सीमित रोगियों के लिए उपयुक्त है।
  • गलत उपयोग या आवश्यकता न होने पर इसका प्रयोग स्वास्थ्य प्रणाली पर आर्थिक बोझ बढ़ा सकता है।

SPArc तकनीक कैंसर उपचार को अधिक सटीक, सुरक्षित और अनुकूल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। हालांकि इसे व्यापक रूप से अपनाने से पहले लागत, अनुप्रयुक्तता और तकनीकी समन्वय जैसे पहलुओं पर गहन विचार करना आवश्यक होगा। यह उपचार भविष्य में कैंसर चिकित्सा को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।

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