केरल में ‘ब्रेन ईटिंग अमीबा’ से जुड़ी चेतावनी: कोझिकोड में प्राइमरी अमीबिक मेनिन्जोएन्सेफलाइटिस के बढ़ते मामले

केरल के कोझिकोड ज़िले में हाल ही में प्राइमरी अमीबिक मेनिन्जोएन्सेफलाइटिस (PAM) के तीन लगातार मामलों के सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है। इस दुर्लभ और घातक बीमारी से एक नौ वर्षीय बच्ची की मृत्यु हो चुकी है, जबकि तीन महीने के शिशु समेत दो अन्य मरीज जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
क्या है प्राइमरी अमीबिक मेनिन्जोएन्सेफलाइटिस?
PAM एक अत्यंत दुर्लभ मस्तिष्क संक्रमण है, जो Naegleria fowleri नामक अमीबा के कारण होता है। यह अमीबा गर्म, ताजे पानी और मिट्टी में स्वतंत्र रूप से पाया जाता है और जब यह नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है, तो यह सीधे मस्तिष्क को संक्रमित कर देता है। इसलिए इसे ‘ब्रेन ईटिंग अमीबा’ भी कहा जाता है। यह संक्रमण अत्यंत तेज़ी से फैलता है और अधिकांश मामलों में जानलेवा होता है।
संक्रमण के संभावित कारण और जटिलताएँ
हाल ही में सामने आए तीन मामलों में से प्रत्येक अलग-अलग गाँवों से हैं, और उनमें कोई सामान्य संपर्क कारक नहीं पाया गया है। विशेष रूप से तीन महीने के शिशु के संक्रमण का कारण अज्ञात है, जिससे चिंता और बढ़ गई है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि यह अमीबा केवल पानी से ही नहीं, बल्कि धूल और मिट्टी के संपर्क से भी शरीर में प्रवेश कर सकता है। ऐसे में केवल नहाते समय या ताजे पानी में तैरते समय ही संक्रमण की संभावना नहीं है।
इसके अतिरिक्त, अध्ययन से यह भी स्पष्ट हुआ है कि Naegleria fowleri के अलावा Acanthamoeba नामक एक और अमीबा भी इसी प्रकार की मस्तिष्क संबंधी बीमारी का कारण बन सकता है। Acanthamoeba से संक्रमित मामलों में जल-संपर्क आवश्यक नहीं होता और इसका इन्क्यूबेशन पीरियड दिनों से लेकर महीनों तक हो सकता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत में PAM का पहला मामला 1971 में सामने आया था, जबकि केरल में यह पहली बार 2016 में रिपोर्ट हुआ।
- 2016 से 2023 तक केरल में केवल 8 मामले सामने आए थे, लेकिन पिछले वर्ष यह संख्या 36 तक पहुंच गई, जिनमें 9 मौतें हुईं।
- PAM की वैश्विक मृत्यु दर 97% है, लेकिन केरल ने इसे घटाकर 25% तक लाने में सफलता पाई है।
- जुलाई 2024 में कोझिकोड का एक 14 वर्षीय लड़का भारत का पहला PAM सर्वाइवर बना और विश्व स्तर पर यह केवल 11वीं PAM रिकवरी थी।
रोकथाम और उपचार की दिशा में कदम
बीमारी की गंभीरता को देखते हुए, पिछले वर्ष केरल सरकार ने एक विशेष उपचार प्रोटोकॉल और मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार की थी, जिससे यह ऐसा करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया। साथ ही, तीव्र एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) के लिए की जा रही व्यापक जांच ने भी ऐसे मामलों की पहचान में बढ़ोतरी की है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण प्रदूषण भी इस संक्रमण के बढ़ने में भूमिका निभा सकते हैं।
केरल का PAM के खिलाफ अभियान और जागरूकता प्रयास देश के अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करता है। इस रोग की भयावहता को देखते हुए सतर्कता, समय पर निदान, और प्रभावी प्रबंधन ही इसके नियंत्रण की कुंजी है।