केरल के सिरुवानी हिल्स में नई शील्डटेल साँप प्रजाति की खोज: “Rhinophis siruvaniensis”

केरल के सिरुवानी हिल्स में नई शील्डटेल साँप प्रजाति की खोज: “Rhinophis siruvaniensis”

भारत के जैवविविधता से भरपूर पश्चिमी घाट क्षेत्र में एक नई साँप प्रजाति — “Rhinophis siruvaniensis” — की औपचारिक पहचान की गई है। यह शील्डटेल प्रजाति, जो पालक्काड जिले के एक प्लांटेशन क्षेत्र में पाई गई, दस वर्षों तक वैज्ञानिक अध्ययन का विषय रही और 2025 में औपचारिक रूप से वर्णित की गई। इस खोज ने न केवल सिरुवानी पहाड़ियों की जैव विविधता की समृद्धि को उजागर किया है, बल्कि नागरिक विज्ञान की भूमिका को भी महत्व दिया है।

एक प्लांटेशन में हुई आकस्मिक खोज

इस साँप को पहली बार 2015 में एक स्थानीय गाइड द्वारा देखा गया था, जब वह एक कॉफी फार्म पर कार्यरत था। इसकी चमकीली त्वचा और असामान्य आकृति ने स्थानीय प्रकृतिविदों और शोधकर्ताओं को इसकी जांच के लिए प्रेरित किया। बाद में तीन नमूनों को उथली मिट्टी से एकत्र किया गया, जिनके आधार पर यह नई प्रजाति पहचानी गई।

इस नई प्रजाति में विशिष्ट रंग, अद्वितीय स्केल संरचना और गुंबदाकार पूंछ का सिरा है, जो इसे अन्य ज्ञात शील्डटेल प्रजातियों से अलग बनाता है।

वैज्ञानिक विश्लेषण और पहचान

भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) में किए गए सूक्ष्म आकारिकी अध्ययन में शारीरिक माप, स्केल की गणना और रंग की विशेषताओं का विश्लेषण किया गया। माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए अनुक्रमण से यह पुष्टि हुई कि “R. siruvaniensis” प्रजाति का निकट संबंध “R. melanoleucus” से है, जो पहले वायनाड से वर्णित की गई थी। हालांकि, दोनों में महत्वपूर्ण आनुवंशिक अंतर भी पाया गया।

वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि भविष्य में न्यूक्लियर डीएनए और अधिक नमूनों के साथ आगे का अध्ययन वर्गीकरण स्पष्टता को और मजबूत करेगा।

पारिस्थितिकी, व्यवहार और संरक्षण की चुनौतियाँ

शील्डटेल साँप मुख्य रूप से भूमिगत जीवन बिताते हैं और कम ही सतह पर आते हैं, जिससे उन्हें अध्ययन करना कठिन होता है। इनकी विशेष खोपड़ी संरचना और मिट्टी पर आधारित आहार इन्हें पर्यावरणीय बदलावों के प्रति अत्यंत संवेदनशील बनाता है।

इस प्रजाति की प्लांटेशन क्षेत्र में उपस्थिति इस बात को इंगित करती है कि संरक्षित वन क्षेत्रों के बाहर भी जैव विविधता की अनदेखी हो रही है, जो भूमि उपयोग में बदलाव और जलवायु संवेदनशीलता को लेकर चिंता बढ़ाती है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • “Rhinophis siruvaniensis” को 2025 में सिरुवानी हिल्स से वर्णित किया गया।
  • शील्डटेल साँप Uropeltidae कुल से संबंधित गैर विषैले बिल खोदने वाले साँप होते हैं।
  • “Rhinophis” वंश में 26 प्रजातियाँ शामिल हैं, जिनमें से 6 भारत में ज्ञात हैं
  • नई प्रजाति की माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए से प्रारंभिक आनुवंशिक जाँच की गई।

भविष्य की दिशा और नागरिक विज्ञान की भूमिका

वैज्ञानिक अब न्यूक्लियर डीएनए अनुक्रमण और विस्तृत आकृति विश्लेषण द्वारा प्रजातियों की पहचान और परिष्करण पर कार्य कर रहे हैं। इस बीच, शील्डटेल मैपिंग प्रोजेक्ट के तहत आम नागरिकों की भागीदारी से फील्ड डेटा संग्रह में तेजी आई है, जो संरक्षण संबंधी प्राथमिकताओं को तय करने में मदद करता है।

जलवायु परिवर्तन जैसे खतरे इन संवेदनशील भूमिगत प्रजातियों पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। ऐसे में शील्डटेल प्रजातियों का दस्तावेजीकरण न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पश्चिमी घाट की पारिस्थितिकी को बचाने की दिशा में एक आवश्यक कदम भी है।

Originally written on December 12, 2025 and last modified on December 12, 2025.

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