केन्या में स्लीपिंग सिकनेस का उन्मूलन, WHO ने दी ऐतिहासिक मान्यता

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने केन्या को ह्यूमन अफ्रीकन ट्रिपैनोसोमायसिस (HAT), जिसे स्लीपिंग सिकनेस भी कहा जाता है, के सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती के रूप में समाप्त घोषित किया है। इस तरह, केन्या यह उपलब्धि हासिल करने वाला 10वां देश बन गया है। WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधनोम घेब्रेयसस ने इस सफलता के लिए केन्या सरकार और जनता को बधाई दी और कहा कि यह अफ्रीका को उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों से मुक्त बनाने की दिशा में एक और बड़ा कदम है।
रोग के बारे में
- कारण: यह रोग ट्रिपैनोसोमा वंश के प्रोटोज़ोआन परजीवियों से होता है, जो संक्रमित ट्सेट्सी मक्खियों के काटने से मनुष्यों में पहुंचते हैं।
- लक्षण: शुरुआती चरण में बुखार, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, लसीका ग्रंथियों की सूजन; बाद के चरण में तंत्रिका तंत्र प्रभावित होने से भ्रम, नींद के पैटर्न में बदलाव, व्यवहार में परिवर्तन और समन्वय में कमी।
- प्रभाव: बिना इलाज के यह रोग आमतौर पर घातक होता है।
HAT के प्रकार
- T. b. gambiense (पश्चिम और मध्य अफ्रीका, 92% मामले) — धीमी प्रगति वाला, लक्षण देर से प्रकट होते हैं।
- T. b. rhodesiense (पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका, 8% मामले) — तेजी से बढ़ने वाला, संक्रमण के कुछ सप्ताह/महीनों में गंभीर लक्षण।
संचरण के अन्य तरीके
- मां से शिशु में
- रक्त-चूसने वाले अन्य कीड़ों द्वारा यांत्रिक संचरण (सीमित)
- प्रयोगशालाओं में आकस्मिक सुई चुभना
- यौन संपर्क से दुर्लभ संक्रमण
ऐतिहासिक प्रकोप और नियंत्रण
- 1896–1906: युगांडा और कांगो बेसिन में गंभीर प्रकोप
- 1920 के दशक: कई देशों में महामारी, मोबाइल टीमों से नियंत्रण
- 1970 के दशक में निगरानी घटने पर पुनः महामारी, 1998 में 40,000 रिपोर्टेड मामले और अनुमानित 3 लाख अनदेखे/बिना इलाज मामले
- WHO और साझेदारों के प्रयासों से 2017 में मामले 2000 से नीचे और 2018 में 1000 से कम हो गए
केन्या की उपलब्धि
- यह केन्या में खत्म होने वाला दूसरा उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग है; पहला गिनी वर्म रोग था, जिसे 2018 में समाप्त घोषित किया गया।
- ग्रामीण और सीमांत क्षेत्रों में सक्रिय स्क्रीनिंग, त्वरित निदान और उपचार, तथा ट्सेट्सी मक्खियों के नियंत्रण ने इस सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- HAT को WHO की Neglected Tropical Diseases Roadmap में 2030 तक शून्य प्रसार का लक्ष्य रखा गया है।
- उप-सहारा अफ्रीका में ट्सेट्सी मक्खियों के निवास वाले सभी क्षेत्रों में HAT नहीं पाई जाती; रोग का वितरण फोकल होता है — एक गांव से लेकर पूरे क्षेत्र तक।
- पशुओं में यह रोग नगाना (Nagana) कहलाता है और ग्रामीण आर्थिक विकास में बाधा है।
- मानव-जनित T. b. rhodesiense का मुख्य भंडार घरेलू और जंगली जानवर होते हैं।
केन्या का यह मील का पत्थर दर्शाता है कि संगठित निगरानी, सामुदायिक सहभागिता और निरंतर नियंत्रण प्रयासों से उपेक्षित रोगों का उन्मूलन संभव है।