कुट्टनाड क्षेत्र के मछली पालकों के लिए केंद्र सरकार की नई पहल: आधुनिक और पारंपरिक तकनीकों से आजीविका को मिलेगा संबल

केरल के कुट्टनाड क्षेत्र में मछली पालकों की आजीविका को सशक्त करने हेतु केंद्र सरकार ने एक नई पायलट परियोजना की घोषणा की है। यह घोषणा केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी और अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री श्री जॉर्ज कुरियन ने आईसीएआर–सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (CMFRI), कोच्चि में आयोजित एक परामर्श बैठक के दौरान की।

परियोजना का उद्देश्य और मुख्य पहलें

परियोजना का मुख्य उद्देश्य कुट्टनाड की स्थानीय अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार और मछली पालकों की आयवृद्धि है। इसके अंतर्गत कई आधुनिक और पारंपरिक मछली पालन तकनीकों को लागू किया जाएगा, जैसे:

  • एकीकृत मछली पालन (Integrated Fish Farming)
  • पिंजरा आधारित मछली पालन (Cage Fish Farming)
  • “एक मछली एक धान” पहल
  • बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन (Biofloc Aquaculture)

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • कुट्टनाड क्षेत्र समुद्र तल से नीचे स्थित खेती के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ खारा और मीठा पानी दोनों प्रकार की जलवायु पाई जाती है।
  • बायोफ्लॉक तकनीक जल की सीमित उपलब्धता में भी टिकाऊ और लाभकारी मत्स्यपालन को संभव बनाती है।
  • Fish Farmers Producers Organizations (FFPOs) किसानों को संगठित कर बाज़ार तक सीधी पहुँच दिलाने के लिए गठित की जाएंगी।
  • परियोजना में आईसीएआर, KVK और अन्य प्रमुख संस्थानों की तकनीकी विशेषज्ञता का लाभ लिया जाएगा।

प्रशिक्षण और स्टार्टअप्स को बढ़ावा

मछली पालकों को एक्वाकल्चर और प्रसंस्करण से संबंधित विषयों पर प्रशिक्षित किया जाएगा। साथ ही, स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित किया जाएगा, जो कि निम्नलिखित क्षेत्रों में काम कर सकेंगे:

  • मछली की सफाई, प्रसंस्करण और पैकेजिंग
  • मत्स्य व्यापार और विपणन
  • मूल्य संवर्धन और निर्यात

इससे स्थानीय युवाओं के लिए नए रोजगार और उद्यमिता के अवसर उत्पन्न होंगे।

ऊपरी और निचले कुट्टनाड के लिए अलग रणनीति

कुट्टनाड क्षेत्र की भौगोलिक विविधता को ध्यान में रखते हुए योजना को दो भागों में बाँटा जाएगा:

  • Upper Kuttanad: मीठे पानी की मछली पालन योजनाएँ
  • Lower Kuttanad: खारे पानी की मछली पालन रणनीतियाँ

निष्कर्ष

इस नई पायलट परियोजना के माध्यम से केंद्र सरकार न केवल मछली पालकों की आजीविका को मजबूत करने का प्रयास कर रही है, बल्कि कुट्टनाड की स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी पुनर्जीवित करना चाहती है। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट जल्द ही तैयार की जाएगी, ताकि तेजी से और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके। यह पहल कुट्टनाड क्षेत्र को सतत विकास, नवाचार और सामाजिक सशक्तिकरण की ओर ले जाने में मील का पत्थर सिद्ध हो सकती है।

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