किसानों को मिलेगा दिन में सात घंटे भरोसेमंद बिजली: मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने की ‘कुसुम-सी योजना’ की शुरुआत

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बुधवार को चिक्कबल्लापुर जिले के गौरिबिदनूर में ‘प्रधानमंत्री कुसुम-सी योजना’ का उद्घाटन करते हुए किसानों को दिन के समय सात घंटे तक भरोसेमंद बिजली आपूर्ति का आश्वासन दिया। इस अवसर पर उन्होंने थोंडेबावी होबली के हनुमेनहल्ली में ऊर्जा विभाग और बैंगलोर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी (बेस्कॉम) द्वारा स्थापित सौर इकाई का भी शुभारंभ किया।
कुसुम-सी योजना का उद्देश्य और लाभ
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बताया कि इस योजना का मूल उद्देश्य किसानों को गुणवत्तापूर्ण और निरंतर बिजली प्रदान करना है, जिससे उनकी कृषि गतिविधियों में कोई बाधा न आए। राज्य में 389 विद्युत उपकेन्द्रों को सौर ऊर्जा से सुसज्जित किया जा रहा है। इसके अंतर्गत 2,396 मेगावॉट क्षमता वाली सौर इकाइयों से 1,555 कृषि फीडरों को ऊर्जा प्रदान की जाएगी। इससे लगभग 6.32 लाख कृषि पंपसेटों को सौर ऊर्जा से बिजली मिलेगी।
उन्होंने कहा कि इससे एक ओर जहां किसानों को दिन के समय बिजली उपलब्ध होगी, वहीं दूसरी ओर ऊर्जा की बर्बादी में भी कमी आएगी। यह एक पर्यावरण हितैषी कदम भी है क्योंकि इससे पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता घटेगी।
उत्पादन लक्ष्य और सब्सिडी नीति
मुख्यमंत्री ने बताया कि कर्नाटक में वर्तमान में 35,000 मेगावॉट बिजली उत्पादन हो रहा है और सरकार का लक्ष्य इसे 2030 तक 60,000 मेगावॉट तक पहुँचाना है। सरकार ने अब तक 4,000 मेगावॉट अतिरिक्त बिजली उत्पादन किया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसानों के कृषि पंपसेटों के लिए दी जा रही ₹19,000 करोड़ की सब्सिडी किसी भी परिस्थिति में बंद नहीं की जाएगी।
कुसुम-सी योजना के तहत किसानों को उनकी भूमि पर सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए 80% सब्सिडी दी जाएगी, जिसमें 50% राज्य सरकार और 30% केंद्र सरकार देगी। शेष 20% राशि किसानों को वहन करनी होगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ‘कुसुम योजना’ (KUSUM) का पूर्ण रूप है: किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान।
- योजना के अंतर्गत किसानों को सौर पंप लगाने और अपनी भूमि पर बिजली उत्पादन की सुविधा मिलती है।
- कर्नाटक में पहले से ही पावगड़ा तालुक में 10,000 एकड़ भूमि पर सौर ऊर्जा परियोजना क्रियान्वित है।
- योजना के तहत तीन फेज की बिजली दिन में सात घंटे तक किसानों के पंपसेटों को दी जाएगी।
ऊर्जा प्रबंधन और भविष्य की दिशा
ऊर्जा मंत्री के. जे. जॉर्ज ने बताया कि राज्य सरकार सरकारी कार्यालयों में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने की योजना बना रही है, जो केंद्र सरकार की ‘Revamped Distribution Sector Scheme’ का हिस्सा है। इस योजना के तहत ऊर्जा अवसंरचना के विकास के लिए केंद्र सरकार 60% तक सब्सिडी देती है और प्रति स्मार्ट मीटर ₹900 की सहायता भी प्रदान करती है।
सरकार की ‘गृह ज्योति’ योजना के तहत इस वर्ष 1.64 लाख परिवारों को मुफ्त बिजली प्रदान की गई है, जिस पर ₹9,200 करोड़ खर्च किए गए हैं। इसी दिशा में ‘कुसुम-सी’ योजना भी एक बड़ा कदम है, जो राज्य को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर कर रहा है।
राज्य सरकार के इन प्रयासों से साफ है कि वह न केवल किसानों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि ऊर्जा संकट से निपटने के लिए भी दीर्घकालिक और पर्यावरण-संवेदनशील नीतियों पर काम कर रही है।