किसानों के विरोध के कारण भारत को रोजाना 3,500 करोड़ का नुकसान हो रहा है : एसोचैम

किसानों के विरोध के कारण भारत को रोजाना 3,500 करोड़ का नुकसान हो रहा है : एसोचैम

हाल ही में एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने कहा है कि भारत को किसान के विरोध के कारण रोजाना लगभग 3,500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। किसानों के विरोध प्रदर्शन ने आर्थिक गतिविधियों को रोक दिया है। इन विरोध प्रदर्शनों ने विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की अंतर-संबद्ध अर्थव्यवस्थाओं (interconnected economies) को बुरी तरह से प्रभावित किया है।

विरोध प्रदर्शन के परिणाम

किसानों के विरोध प्रदर्शन ने पहले से ही तहत-नहस आपूर्ति-श्रृंखला और परिवहन व्यवधान की स्थिति को और ख़राब कर दिया है, जो COVID-19 लॉकडाउन के बाद रिकवर हो रही थी।

साइकिल, कपड़े, ऑटो कलपुर्जे, खेल के सामान इत्यादि उद्योग काफी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं, यह उद्योग बड़ी मात्रा सामान दूसरे देशों को भी निर्यात करते हैं, यह उद्योग अपने ऑर्डर्स को पूरा करने में असमर्थ हैं।

किसान विरोध क्यों कर रहे हैं?

भारत सरकार द्वारा पारित किये तीन कृषि सुधार विधेयकों के खिलाफ किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन कानूनों को सितंबर 2020 में लागू किया गया था। इस कानूनों ने कृषि उत्पादों की बिक्री, मूल्य निर्धारण और भंडारण के नियमों में थोड़ी ढील दी है।

इन कानूनों से असहमति के कारण किसानों ने एक शांतिपूर्ण विरोध शुरू किया, इस आन्दोलन को ‘दिल्ली चलो’ नाम दिया है। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व अधिकांश पंजाबी और सिख किसान कर रहे हैं।

किसानों की चिंता

किसानों को भय है कि नए कृषि बिल उनकी आजीविका के लिए खतरा हैं।

सरकार और किसानों के बीच वार्ता

सरकार और किसानों के बीच छह दौर की वार्ता हो चुकी है। लेकिन अब यह इस मुद्दे का समाधान नही हो पाया है। सरकार ने कहा है कि, सुधारों में संशोधन किया जा सकता है। लेकिन किसानों ने कानून में संशोधन के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।

Originally written on December 16, 2020 and last modified on December 16, 2020.

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