किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act) क्या है?

किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act) क्या है?

किशोर न्याय अधिनियम हर जिले में किशोर न्याय बोर्ड स्थापित करना अनिवार्य बनाता है। इस अधिनियम के तहत Central Adoption Resource Authority को वैधानिक निकाय का दर्जा दिया गया था। यह अधिनियम गैर-सरकारी संगठनों या राज्य सरकारों द्वारा संचालित चाइल्ड केयर संस्थानों को अधिनियम के तहत पंजीकृत करना अनिवार्य बनाता है।

किशोर न्याय बोर्ड (Juvenile Justice Board)

यह एक न्यायिक निकाय है, जिसमें अपराध के आरोपी बच्चों को लाया जाता है। यह किशोरों के लिए एक अलग अदालत है। इसमें एक न्यायिक मजिस्ट्रेट और दो सामाजिक कार्यकर्ता शामिल होते हैं।

बाल कल्याण समिति

किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों के तहत, राज्य सरकार को इन समितियों को जिला स्तर पर स्थापित करना चाहिए। बाल कल्याण समिति के पास बच्चों के संरक्षण, पुनर्वास के लिए मामलों को निपटाने की शक्ति होती है।

जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में हालिया संशोधन

हाल ही में एक अनाथ या परित्यक्त बच्चे को गोद लेने के लिए एक संगठित प्रणाली प्रदान करने के लिए इस अधिनियम में संशोधन किया गया था। इस अधिनियम के अनुसार, 15 से 18 वर्ष की आयु के नाबालिगों को जघन्य अपराधों के मामले में वयस्क माना जायेगा।

किशोर कौन है?

भारत में एक किशोर 18 वर्ष से कम आयु का व्यक्ति है। भारतीय कानूनों के अनुसार, सात साल से कम उम्र के बच्चे को किसी भी अपराध के लिए किसी भी कानून के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

Originally written on December 3, 2020 and last modified on December 3, 2020.

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