काशी तमिल संगमम् 4.0: तमिल–काशी सांस्कृतिक सेतु को नई ऊँचाई
शिक्षा मंत्रालय 2 दिसंबर 2025 से काशी तमिल संगमम् (KTS) 4.0 का आयोजन कर रहा है, जिसका उद्देश्य तमिलनाडु और काशी के बीच ऐतिहासिक तथा आध्यात्मिक संबंधों को और सुदृढ़ करना है। एक भारत श्रेष्ठ भारत की एकीकृत राष्ट्रीय दृष्टि के अंतर्गत यह कार्यक्रम भाषा, संस्कृति, विरासत और अकादमिक सहयोग के माध्यम से भारत की साझा सभ्यतागत पहचान को मजबूत करता है।
सांस्कृतिक सहभागिता का विस्तारित ढांचा
कार्यक्रम का समन्वय आईआईटी मद्रास और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है, जिसमें कई केंद्रीय मंत्रालयों और उत्तर प्रदेश सरकार का सहयोग शामिल है। 2022 में शुरुआत के बाद से यह संगमम् एक प्रमुख सांस्कृतिक सेतु के रूप में विकसित हुआ है, जिसने ज्ञान परंपराओं को पुनर्संयोजित किया है और विद्वानों, युवाओं तथा विभिन्न समुदायों की व्यापक भागीदारी को बढ़ावा दिया है।
तमिल सीखने को प्रोत्साहित करने वाला थीम
2025 के संस्करण का विषय “लर्न तमिल – तमिल कर्कलम” रखा गया है, जिसका उद्देश्य पूरे भारत में तमिल सीखने के अवसरों को विस्तार देना है। तमिलनाडु से 1,400 से अधिक प्रतिनिधि—जिनमें विद्यार्थी, शिक्षक, लेखक, किसान, पेशेवर, महिलाएँ और आध्यात्मिक विद्वान शामिल हैं—आठ दिवसीय यात्रा के लिए वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या जाएंगे। इस यात्रा में सेमिनार, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और क्षेत्रीय हस्तकला तथा भोजन परंपरा का अनुभव कराने वाले कार्यक्रम शामिल हैं।
विरासत स्थलों का भ्रमण और शैक्षणिक संवाद
प्रतिनिधि वाराणसी में तमिल विरासत से जुड़े कई स्थलों का भ्रमण करेंगे, जिनमें सुब्रमण्य भारती का पैतृक निवास, केदार घाट, काशी मठ, काशी विश्वनाथ मंदिर और माता अन्नपूर्णा मंदिर शामिल हैं। भाषा और साहित्यिक संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए बीएचयू के तमिल विभाग में एक शैक्षणिक संवाद भी आयोजित किया जाएगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- काशी तमिल संगमम् 4.0 की शुरुआत 2 दिसंबर 2025 को वाराणसी में होगी।
- इस संस्करण का विषय “लर्न तमिल – तमिल कर्कलम” है।
- सात श्रेणियों में विभाजित 1,400 से अधिक प्रतिनिधि तमिलनाडु से भाग लेंगे।
- आयोजन आईआईटी मद्रास और बीएचयू द्वारा कई केंद्रीय मंत्रालयों के सहयोग से किया जा रहा है।
सीखने और सांस्कृतिक विनिमय की प्रमुख पहलें
कार्यक्रम की विशेष पहल में तेनकासी से काशी तक ‘सज्जन अगस्थ्य वाहन अभियान’ शामिल है, जो दक्षिण भारतीय राजवंशों द्वारा निर्मित ऐतिहासिक सभ्यतागत संबंधों को उजागर करेगा। ‘तमिल कर्कलम’ अभियान के अंतर्गत वाराणसी के स्कूलों में 50 तमिल शिक्षक बोलचाल की तमिल की कक्षाएँ लेंगे। वहीं काशी के 300 विद्यार्थियों को तमिलनाडु के प्रमुख संस्थानों में 15 दिवसीय तमिल शिक्षण कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा, जिसका संचालन CICT चेन्नई द्वारा किया जाएगा।