कावेरी डेल्टा में स्मूद-कोटेड ऊदबिलाव के संरक्षण हेतु तमिलनाडु की नई पहल

कावेरी डेल्टा में स्मूद-कोटेड ऊदबिलाव के संरक्षण हेतु तमिलनाडु की नई पहल

तमिलनाडु सरकार ने कावेरी डेल्टा में स्मूद-कोटेड ऊदबिलाव (Smooth-coated Otter) के संरक्षण के लिए एक लक्षित योजना शुरू की है। यह पहल नदियों में घटते प्रवाह, मीठे पानी के आवासों में गिरावट और मानव–वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं के बीच इस संकटग्रस्त प्रजाति को बचाने का प्रयास है। यह कदम राज्य की नदी प्रणालियों में जैव विविधता संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है।

स्मूद-कोटेड ऊदबिलाव की पारिस्थितिक भूमिका

स्मूद-कोटेड ऊदबिलाव एशिया की सबसे बड़ी ऊदबिलाव प्रजाति है और यह आर्द्रभूमियों के स्वास्थ्य की जैव-संकेतक (bio-indicator) मानी जाती है। यह सामाजिक समूहों में रहती हैं, जिन्हें “bevvy” कहा जाता है, और सामूहिक रूप से शिकार करती हैं, जिससे जलीय पारिस्थितिक तंत्र में मछली की आबादी का संतुलन बना रहता है। कावेरी डेल्टा में ये ऊदबिलाव नहरों, धीमी बहाव वाली सहायक नदियों और मैन्ग्रोव क्षेत्रों में पाई जाती हैं, जहाँ वे नदी किनारों पर मिट्टी की गुफाओं में आश्रय लेती हैं।

नदी तटीय समुदायों के साथ बढ़ता संघर्ष

आनैक्कराई जैसे मछुआरे गांवों में इन्हें “मीनाकुट्टी” के नाम से जाना जाता है, क्योंकि ये जालों और नावों के पास खेलती रहती हैं। परंतु जल प्रवाह में गिरावट और मछलियों की कम होती संख्या ने प्रतिस्पर्धा को बढ़ा दिया है। कई बार ऊदबिलाव मछली जालों में फंसकर घायल हो जाती हैं, जबकि मछुआरों का नुकसान होता है। इसके अतिरिक्त, प्रदूषण, कीटनाशकों का बहाव, प्लास्टिक कचरा और ऊपर की ओर बनाए गए बांधों ने भी मछलियों की उपलब्धता को कम कर दिया है।

राज्य सरकार द्वारा संरक्षण कार्यक्रम

तमिलनाडु विधानसभा में संकटग्रस्त प्रजातियों की सुरक्षा पर चर्चा के दौरान इस कार्यक्रम की घोषणा की गई। यह थंजावुर, तिरुवारुर और कुड्डालोर जिलों में ऊदबिलाव की आबादी, व्यवहार और आवास की गुणवत्ता का अध्ययन करेगा। यह प्रजाति IUCN रेड लिस्ट में “वल्नरेबल” के रूप में सूचीबद्ध है और भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I के अंतर्गत पूर्ण सुरक्षा प्राप्त है। इस परियोजना को ₹20 लाख की प्रशासनिक स्वीकृति मिल चुकी है और यह 2025–26 वित्तीय वर्ष में क्रियान्वित होगी।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

• स्मूद-कोटेड ऊदबिलाव एशिया की सबसे बड़ी ऊदबिलाव प्रजाति है।
• यह IUCN रेड लिस्ट में “Vulnerable” के रूप में सूचीबद्ध है।
• यह भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I के तहत संरक्षित है।
• ऊदबिलाव को स्वस्थ मीठे जल पारिस्थितिक तंत्र का जैव संकेतक माना जाता है।

अनुसंधान, बहाली और समुदाय सहभागिता

इस अध्ययन का संचालन वन विभाग के अनुसंधान प्रभाग द्वारा किया जाएगा, और क्षेत्रीय सर्वेक्षण कावेरी डेल्टा क्षेत्र में किया जाएगा। वैज्ञानिक प्रत्यक्ष दृश्यावलोकन, मल विश्लेषण, कैमरा ट्रैप और पर्यावरणीय डीएनए सैंपलिंग जैसी विधियों का उपयोग करेंगे। इस शोध के आधार पर दलदली वनस्पतियों की बहाली, “फिश लैडर” निर्माण और संघर्ष को कम करने वाली रणनीतियाँ विकसित की जाएंगी। साथ ही, स्थानीय समुदायों और संरक्षण समूहों की सहायता से जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे, जिससे इस प्रजाति की दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

Originally written on December 23, 2025 and last modified on December 23, 2025.

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