कालेश्वरम परियोजना घोटाले पर पीसी घोष आयोग की रिपोर्ट से बवाल: केसीआर और शीर्ष अधिकारियों पर गंभीर आरोप

तेलंगाना विधानसभा में रविवार को कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना में अनियमितताओं की जांच के लिए गठित पीसी घोष आयोग की 665 पन्नों की रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR), उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों और शीर्ष नौकरशाहों पर गंभीर वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं के आरोप लगाए गए हैं। कांग्रेस सरकार द्वारा गठित इस आयोग की रिपोर्ट ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है।

परियोजना में निर्णय प्रक्रिया पर सवाल

रिपोर्ट में कहा गया है कि केसीआर ने अकेले निर्णय लेकर परियोजना को तुम्मिदीहट्टी से मेडिगड्डा स्थानांतरित किया, जबकि विशेषज्ञ समिति और उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने ऐसी कोई सिफारिश नहीं की थी। यह निर्णय न कैबिनेट में और न ही उप-समिति में चर्चा का विषय बना। आयोग के अनुसार, CWC (सेंट्रल वॉटर कमीशन) ने मार्च 2015 में तुम्मिदीहट्टी पर आपत्तियाँ जताई थीं, जो मेडिगड्डा पर भी समान रूप से लागू होती थीं।

वित्तीय अनियमितताएँ और भारी कर्ज

परियोजना की लागत ₹38,500 करोड़ से बढ़कर ₹1.10 लाख करोड़ तक पहुंच गई, जिससे राज्य को ₹87,449 करोड़ का ऑफ-बजट ऋण लेना पड़ा। आयोग ने यह भी सिफारिश की कि KIPCL द्वारा लिए गए ऋण और उनके वितरण की गहन जांच होनी चाहिए, ताकि यह पता लगाया जा सके कि अंतिम लाभार्थी कौन थे।

अधिकारियों और मंत्रियों की भूमिका

आयोग ने बताया कि तत्कालीन सिंचाई मंत्री टी. हरीश राव ने बिना किसी प्रणाली के मनमाने निर्देश दिए और तत्कालीन वित्त मंत्री ईटाला राजेंदर और वित्त सचिव के. रामकृष्ण राव ने राज्य की वित्तीय स्थिति की अनदेखी की। इंजीनियर-इन-चीफ सी. मुरलीधर राव और मुख्य सचिव एसके जोशी पर जानबूझकर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को छिपाने का आरोप लगाया गया है।

विपक्ष का पलटवार: ‘राजनीतिक साजिश’

बीआरएस नेता हरीश राव ने इस पूरे प्रयास को “राजनीतिक बदले की भावना” से प्रेरित बताया और कहा कि आयोग ने जांच के दौरान उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें या अन्य संबंधित पक्षों को कोई नोटिस नहीं भेजा गया। बीआरएस ने इस रिपोर्ट को विधानसभा में प्रस्तुत करने से रोकने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • कालेश्वरम परियोजना की लागत ₹38,500 करोड़ से बढ़कर ₹1.10 लाख करोड़ तक गई।
  • रिपोर्ट में केसीआर, हरीश राव, ईटाला राजेंदर, एसके जोशी समेत कई अधिकारियों को दोषी ठहराया गया।
  • CWC की स्वीकृति के बिना DPR को पास कर प्रशासनिक मंजूरी और अनुबंध दिए गए।
  • आयोग ने KIPCL द्वारा लिए गए ऋण और निर्माण एजेंसियों के बिलों की गहन जांच की सिफारिश की।

कालेश्वरम परियोजना, जो कभी तेलंगाना की विकास यात्रा का प्रतीक मानी जाती थी, अब एक बड़े वित्तीय और राजनीतिक घोटाले का प्रतीक बन गई है। पीसी घोष आयोग की रिपोर्ट ने जहां पूर्ववर्ती सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, वहीं वर्तमान सरकार इस रिपोर्ट के आधार पर कड़ी कार्रवाई की योजना बना रही है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा राज्य की राजनीति में केंद्रीय बिंदु बना रहेगा।

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