काली टाइगर रिजर्व में पहली बार दिखा पट्टेदार लकड़बग्घा: पश्चिमी घाटों में दुर्लभ उपस्थिति दर्ज
कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले स्थित काली टाइगर रिजर्व में हाल ही में वन अधिकारियों को एक अनोखी और दुर्लभ वन्यजीव उपस्थिति की जानकारी मिली है। रिजर्व के सफारी ज़ोन में पट्टेदार लकड़बग्घा (Striped Hyena), जिसे स्थानीय भाषा में ‘कट्टे किरुबा’ कहा जाता है, देखा गया है। यह पहला ऐसा अवसर है जब पश्चिमी घाट जैसे आर्द्र और सदाबहार जंगलों में इस प्रजाति की पुष्टि हुई है।
दुर्लभ जानवर, असामान्य स्थल
पट्टेदार लकड़बग्घा सामान्यतः कर्नाटक के सूखे क्षेत्रों जैसे धारवाड़, चित्रदुर्ग, गडग, बल्लारी और कोप्पल जिलों में देखा जाता है। लेकिन काली टाइगर रिजर्व, जो अर्ध-सदाबहार से लेकर सदाबहार वनों तक फैला है, इस प्रजाति के लिए उपयुक्त आवास नहीं माना जाता। इसीलिए यह देखा जाना वन्यजीव विशेषज्ञों और वन अधिकारियों के लिए एक चौंकाने वाली और शोधयोग्य घटना बन गई है।
काली रिजर्व के निदेशक निलेश शिंदे ने बताया कि यह जानवर सफारी क्षेत्र में देखा गया है और इसकी गतिविधियों पर नज़र रखी जा रही है। अब तक इस जानवर की कोई तस्वीर या वीडियो जारी नहीं की गई है, परंतु इसे कैमरा ट्रैप्स और प्रत्यक्ष अवलोकनों के माध्यम से ट्रैक किया जा रहा है।
संभावित आगंतुक या नई उपस्थिति?
वन विभाग का मानना है कि यह लकड़बग्घा संभवतः धारवाड़ क्षेत्र के जंगलों से भटक कर काली रिजर्व पहुंचा होगा। कुछ वर्ष पहले महाराष्ट्र से एक बाघ ने 150 किलोमीटर की दूरी तय कर काली रिजर्व में प्रवेश किया था, जिससे यह संभावना बनी रहती है कि अन्य प्रजातियां भी दूरस्थ क्षेत्रों से यहां आ सकती हैं।
एक वन्यजीव विशेषज्ञ के अनुसार, लकड़बग्घा एक निशाचर और मृतभक्षी जीव है जो शिकारियों द्वारा छोड़े गए अवशेषों पर निर्भर रहता है। यह अन्य बड़े शिकारी जानवरों जैसे बाघों के शिकारों के आस-पास घूमते हैं और बचे हुए मांस पर जीवित रहते हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- पट्टेदार लकड़बग्घा (Striped Hyena) का वैज्ञानिक नाम Hyaena hyaena है।
- यह प्रजाति भारत के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती है और पश्चिमी घाट जैसे आर्द्र क्षेत्रों में दुर्लभ है।
- काली टाइगर रिजर्व पश्चिमी घाट की जैव विविधता का प्रमुख केंद्र है, जहां मुख्यतः बाघ, तेंदुआ, हाथी और कई पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं।
- कर्नाटक के धारवाड़, चित्रदुर्ग और गडग जैसे जिले लकड़बग्घों की नियमित उपस्थिति वाले क्षेत्र माने जाते हैं।
काली टाइगर रिजर्व में लकड़बग्घे की यह अप्रत्याशित उपस्थिति संरक्षण प्रयासों और पारिस्थितिकी तंत्र पर इसके प्रभाव के अध्ययन की नई दिशा खोलती है।