काकोई रिज़र्व फ़ॉरेस्ट में बादलपैन्थर की दुर्लभ दृष्टि: पूर्वोत्तर के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण सफलता

काकोई रिज़र्व फ़ॉरेस्ट में बादलपैन्थर की दुर्लभ दृष्टि: पूर्वोत्तर के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण सफलता

पूर्वोत्तर भारत के हिमालयी मैदानों में स्थित असम के काकोई रिज़र्व फ़ॉरेस्ट में बादलपैन्थर (Clouded Leopard) की दुर्लभ तस्वीर कैमरा-ट्रैप के माध्यम से मिली है, जो वन्यजीव संरक्षण के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। यह पहली बार है जब काकोई रिज़र्व फ़ॉरेस्ट में इस प्रकार की फोटो-रिकॉर्डिंग संभव हो पाई है, जिससे छोटे वन्य संरक्षण क्षेत्रों की जैविक महत्ता एक बार फिर उजागर हुई है।

काकोई रिज़र्व फ़ॉरेस्ट में पहली दृष्टि

बादलपैन्थर को कैमरा-ट्रैप निगरानी के दौरान जिला/वन विभाग की नियमित वन्यजीव मॉनिटरिंग गतिविधि के दौरान कैद किया गया। वन अधिकारियों ने पुष्टि की है कि यह काकोई रिज़र्व फ़ॉरेस्ट में इस प्रजाति का प्रथम फोटो-रिकॉर्ड है। इससे यह स्पष्ट होता है कि बादलपैन्थर की वर्तमान वितरण सीमा छोटे वन्य क्षेत्रों तक फैली हुई हो सकती है, न कि केवल बड़े राष्ट्रीय उद्यानों तक सीमित।

बड़े राष्ट्रीय उद्यानों के अलावा सीमित रिकॉर्ड

अब तक असम में बादलपैन्थर के निश्चित दर्शन और रिकॉर्ड अधिकतर प्रमुख संरक्षित क्षेत्रों जैसे काज़ीरंगा नेशनल पार्क, मानास नेशनल पार्क और नामेरी नेशनल पार्क से ही रहे हैं। इन क्षेत्रों में लंबे समय से शोध और संरक्षण गतिविधियाँ चली आ रही हैं, लेकिन छोटे रिज़र्व फ़ॉरेस्टों में व्यवस्थित सर्वेक्षणों का अभाव रहा है। काकोई रिज़र्व फ़ॉरेस्ट में हालिया कैमरा-ट्रैप सफलता ने साबित कर दिया है कि छोटे पैमानों पर भी महत्वपूर्ण वन्यजीवों की उपस्थिति हो सकती है।

छोटे वन्य क्षेत्रों का पारिस्थितिक महत्व

वन अधिकारियों के अनुसार छोटे रिज़र्व फ़ॉरेस्ट जैसे काकोई में आवरण की निरंतरता (canopy continuity) और आवास की अखंडता बनी हुई है, जो इन्हें वन-निर्भर मांसाहारी प्रजातियों के लिए आवागमन मार्ग और निवास स्थान के रूप में कार्य करने योग्य बनाती है। यह भी स्पष्ट है कि वैज्ञानिक निगरानी और कैमरा-ट्रैप तकनीकों ने छिपी हुई जैव विविधता को प्रकट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। काकोई में यह अभ्यास लखीमपुर वन मंडल द्वारा, वन्यजीव शोधकर्ताओं के तकनीकी सहयोग से संचालित किया गया।

UPSC प्रीलिम्स के लिए महत्वपूर्ण बिंदु

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • बादलपैन्थर (Clouded Leopard) को IUCN रेड लिस्ट पर “वर्नरेबल (Vulnerable)” श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है।
  • यह प्रजाति भारत के वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 में संरक्षित है।
  • असम पूर्वी हिमालय जैव विविधता हॉटस्पॉट के अंतर्गत आता है।
  • कैमरा ट्रैपिंग एक गैर-हानिकारक (non-invasive) वन्यजीव मॉनिटरिंग तकनीक है, जिसका उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान में किया जाता है।

संरक्षण योजनाओं पर प्रभाव

राज्य के वन मंत्री चंद्र मोहन पटवाड़ी ने इस दृष्टि को स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत बताया है और स्थानीय समुदायों के लिए गर्व का विषय बताया है। हालांकि, वन अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि अभी यह निर्धारित करना कठिन है कि यह देखा गया पशु स्थाई निवासी है या केवल आवागमन कर रहा था। इस असमंजस ने यह आवश्यकता स्पष्ट कर दी है कि छोटे रिज़र्व फ़ॉरेस्टों को व्यापक परिदृश्य स्तर पर संरक्षण और प्रबंधन योजनाओं में शामिल किया जाना चाहिए।

सारांश रूप में, काकोई रिज़र्व फ़ॉरेस्ट में बादलपैन्थर की दृष्टि न केवल इस दुर्लभ प्रजाति के अस्तित्व को पुष्टि करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि छोटे वन्य क्षेत्रों को भी वैज्ञानिक निगरानी तथा संरक्षण प्रयासों का हिस्सा बनाना आवश्यक है। इससे न केवल जैव विविधता का सम्यक ज्ञान मिलेगा, बल्कि क्षेत्रीय पारिस्थितिकीय संतुलन भी मजबूत होगा।

Originally written on December 29, 2025 and last modified on December 29, 2025.

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