कर्नाटक में छात्राओं के लिए मासिक धर्म अवकाश का नया प्रस्ताव: नीति में बड़ा बदलाव

कर्नाटक में छात्राओं के लिए मासिक धर्म अवकाश का नया प्रस्ताव: नीति में बड़ा बदलाव

कर्नाटक सरकार ने मासिक धर्म से जुड़ी सामाजिक संवेदनशीलता और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। प्रस्तावित कर्नाटक वर्किंग वीमेन वेलबीइंग बिल, 2025 के तहत राज्य में स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों की छात्राओं को मासिक धर्म अवकाश देने की योजना है। यह प्रस्ताव न केवल छात्राओं बल्कि ट्रांसजेंडर और जेंडर-क्वियर व्यक्तियों को भी लाभ पहुंचाने वाला है, जिससे राज्य की मासिक धर्म नीति में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान

प्रस्तावित विधेयक के अनुसार छात्राओं को हर माह दो दिन का मासिक धर्म अवकाश मिलेगा, साथ ही 2 प्रतिशत उपस्थिति में छूट भी दी जाएगी।
यह प्रावधान पहले केवल कामकाजी महिलाओं पर लागू थे, लेकिन अब इसका दायरा बढ़ाकर स्कूल और कॉलेज की छात्राओं, ट्रांसजेंडर और जेंडर-क्वियर व्यक्तियों तक किया गया है।
अवकाश लेने के लिए कोई चिकित्सकीय प्रमाणपत्र आवश्यक नहीं होगा, केवल एक साधारण लिखित अनुरोध ही पर्याप्त होगा।

यह अवकाश अधिकतम 12 दिन प्रति वर्ष तक सीमित रहेगा और इसका उपयोग अगले वर्ष के लिए नहीं किया जा सकेगा। यदि मासिक धर्म किसी सार्वजनिक अवकाश या रविवार को आता है, तो केवल एक दिन का अवकाश ही मान्य होगा। साथ ही, मासिक धर्म अवकाश को किसी अन्य अवकाश के साथ नहीं जोड़ा जा सकेगा।

संचालन और निगरानी तंत्र

इस विधेयक के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक विशेष कर्नाटक महिला कल्याण प्राधिकरण (Karnataka Women Wellbeing Authority) का गठन प्रस्तावित है। इस प्राधिकरण की अध्यक्षता कर्नाटक महिला आयोग की प्रमुख करेंगी।
यह संस्था शिकायतों की जांच करेगी, आवश्यक आदेश जारी करेगी और राज्यभर में अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु श्रम अधिकारियों के माध्यम से निरीक्षण करवाएगी।

संस्थाओं को यह भी विकल्प दिया गया है कि यदि संभव हो तो मासिक धर्म के दौरान छात्राएं या कर्मचारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से घर से कार्य या अध्ययन कर सकें।

भेदभाव पर दंडात्मक कार्रवाई

विधेयक में यह भी प्रावधान है कि यदि कोई संस्थान मासिक धर्म अवकाश देने से इनकार करता है या इस अवकाश का उपयोग करने वाले व्यक्ति के साथ भेदभाव करता है, तो उस पर 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
साथ ही, किसी भी व्यक्ति की मासिक धर्म छुट्टी से जुड़ी जानकारी को सार्वजनिक करना सख्त वर्जित होगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • यह प्रस्ताव कर्नाटक वर्किंग वीमेन वेलबीइंग बिल, 2025 का हिस्सा है।
  • मासिक धर्म अवकाश की अधिकतम सीमा: प्रति वर्ष 12 दिन, जिसे आगे नहीं बढ़ाया जा सकता।
  • भेदभाव या अवकाश न देने पर अधिकतम ₹5,000 का जुर्माना
  • यह प्रावधान छात्राएं, कर्मचारी, ट्रांसजेंडर और जेंडर-क्वियर व्यक्तियों को कवर करता है।

यह नया प्रस्ताव भारत में मासिक धर्म को लेकर नीतिगत जागरूकता और स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है। यदि यह विधेयक पारित होता है, तो यह देशभर में महिला स्वास्थ्य अधिकारों के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल बन सकता है।

Originally written on December 11, 2025 and last modified on December 11, 2025.

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