कर्नाटक के आलंद निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता सूची से नाम हटाने का विवाद: जानिए कानून और प्रक्रिया

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हाल ही में आरोप लगाया कि कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2023 के दौरान 6,018 मतदाताओं के नाम अवैध रूप से मतदाता सूची से हटाने का प्रयास किया गया। उनका दावा है कि स्थानीय लोगों की जानकारी के बिना ऑनलाइन Form 7 भरकर यह प्रक्रिया की गई। इस मामले में कर्नाटक की अपराध जांच विभाग (CID) ने चुनाव आयोग (ECI) को 18 बार पत्र लिखे, लेकिन आवश्यक जानकारी अब तक उपलब्ध नहीं कराई गई।

मतदाता सूची से नाम हटाने का कानूनी आधार

भारतीय संविधान के तहत प्रतीनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 22 के अंतर्गत संसदीय क्षेत्र के इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ERO) को अधिकार प्राप्त है कि वह मतदाता सूची में सुधार या नाम हटाने की प्रक्रिया स्वयं या प्राप्त आवेदन के आधार पर कर सकता है। परंतु, इसके लिए उसे जांच करनी होती है, संबंधित मतदाता को सूचना देना होता है और उसके उत्तर के बाद ही कोई आदेश पारित किया जा सकता है।
नाम हटाने के वैध कारणों में शामिल हैं:

  • व्यक्ति की मृत्यु
  • क्षेत्र से स्थायी रूप से स्थानांतरण
  • भारत का नागरिक न होना
  • 18 वर्ष से कम आयु का होना

Form 7 के माध्यम से नाम हटाने की प्रक्रिया

रजिस्ट्रेशन ऑफ इलेक्टर्स रूल्स, 1960 के तहत Form 7 वह निर्धारित फॉर्म है जिससे कोई मतदाता अपना या किसी अन्य का नाम हटाने का आवेदन कर सकता है।
ऑनलाइन आवेदन में आवश्यक विवरण:

  • आवेदक का नाम, EPIC नंबर, और मोबाइल नंबर
  • जिस व्यक्ति के खिलाफ आपत्ति की जा रही है, उसका नाम, EPIC नंबर (यदि हो), और पता
  • आपत्ति के कारण: मृत्यु, कम आयु, क्षेत्र से अनुपस्थिति, दोहराव, या नागरिकता न होना

फॉर्म में कोई प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन झूठा विवरण देने पर दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है।

फॉर्म की जांच और निष्पादन प्रक्रिया

2018 से, सभी फॉर्म ERONet नामक केंद्रीकृत पोर्टल के माध्यम से संबंधित ERO तक पहुंचते हैं। 2024 में इसे ECINet में समाहित कर एकीकृत पोर्टल बनाया गया। प्राप्त फॉर्म की जांच संबंधित BLO (बूथ स्तर अधिकारी) द्वारा की जाती है, जिसमें वे फील्ड विज़िट करके सत्यापन करते हैं। इसके बाद ERO द्वारा सुनवाई कर निर्णय लिया जाता है।

तकनीकी खामियाँ और सुरक्षा चिंताएँ

  • Form 7 दाखिल करते समय कोई दस्तावेज़ी प्रमाण नहीं मांगा जाता।
  • EPIC और मोबाइल नंबर की सत्यता की जांच प्रणाली में नहीं होती, जिससे कोई व्यक्ति दूसरे के EPIC नंबर से भी आवेदन कर सकता है।
  • यही खामी संभवतः कर्नाटक के आलंद मामले में सामने आई, जहां आरोप है कि स्थानीय लोगों की जानकारी के बिना उनके नाम हटाने के लिए ऑनलाइन फॉर्म भर दिए गए।

ECI ने यह स्वीकार किया है कि इस प्रकार के आवेदन पकड़े गए और संबंधित ERO द्वारा रोक दिए गए। हालांकि, यह मामला चुनाव प्रणाली में साइबर-सुरक्षा और पहचान सत्यापन की गंभीर आवश्यकता को दर्शाता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • Representation of the People Act, 1950 चुनाव पंजीकरण की मुख्य आधारशिला है।
  • Form 7, मतदाता सूची से नाम हटाने या आपत्ति दर्ज कराने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • ERO (Electoral Registration Officer) को हर फॉर्म पर सुनवाई और जांच करना अनिवार्य होता है।
  • भारत में चुनाव आयोग द्वारा सभी निर्वाचन संबंधी कार्य ऑनलाइन ECINet पोर्टल के माध्यम से नियंत्रित किए जाते हैं।

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