कर्नाटक की बीबी फातिमा महिला स्वयं सहायता समूह को UNDP का ‘इक्वेटर प्राइज 2025’

धारवाड़ जिले के कुंदगोल तालुक के एक छोटे से गांव तीर्था की बीबी फातिमा महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा दिया जाने वाला इक्वेटर इनिशिएटिव अवार्ड जीता है, जिसे जैव विविधता संरक्षण का ‘नोबेल पुरस्कार’ भी कहा जाता है। यह समूह 2025 के 10 वैश्विक विजेताओं में एकमात्र भारतीय चयन है।
पुरस्कार और चयन प्रक्रिया
- घोषणा: 9 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस पर।
- थीम: महिला और युवा नेतृत्व द्वारा प्रकृति-आधारित जलवायु कार्रवाई।
- प्रतिस्पर्धा: 103 देशों से आए 700 नामांकनों में से चयन।
- पुरस्कार राशि: USD 10,000 (लगभग ₹8.5 लाख)।
- अन्य विजेता अर्जेंटीना, ब्राजील, इक्वाडोर, इंडोनेशिया, केन्या, पापुआ न्यू गिनी, पेरू और तंजानिया से हैं।
बीबी फातिमा SHG की उपलब्धियां
- स्थापना: वर्ष 2018 में 15 महिलाओं द्वारा।
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मुख्य कार्यक्षेत्र:
- वर्षा-आधारित खेतों में पर्यावरण-अनुकूल खेती
- बाजरा आधारित मिश्रित खेती और प्राकृतिक कृषि
- सामुदायिक बीज बैंक का संचालन
- खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना
- जलवायु-लचीले (Climate-resilient) खेती तंत्र का प्रचार
- प्रसंस्करण इकाई: सहजा समृद्धा, IIMR हैदराबाद और CROPS4HD के सहयोग से महिला-प्रबंधित बाजरा प्रसंस्करण इकाई की स्थापना।
- नवाचार: सेल्को फाउंडेशन की मदद से सौर ऊर्जा आधारित मशीनरी।
- मूल्य संवर्धन: बाजरे से रोटियां, सेवइयां आदि उत्पाद बनाकर विपणन।
प्रभाव और विस्तार
- 30 गांवों में बाजरा आधारित फसल पद्धति का पुनर्जीवन।
- छोटे व सीमांत किसानों की आय में सुधार और महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण।
- ग्रामीण कृषि-आधारित उद्यमिता को बढ़ावा, देवधान्य किसान उत्पादक कंपनी के साथ साझेदारी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- इक्वेटर प्राइज 2002 से दिया जा रहा है और अब तक 84 देशों के 300+ सामुदायिक संगठनों को सम्मानित किया गया है।
- पुरस्कार का उद्देश्य आदिवासी और स्थानीय समुदायों द्वारा संचालित प्रकृति-आधारित समाधानों को बढ़ावा देना है।
- सहजा समृद्धा कर्नाटक स्थित एक संगठन है, जो जैविक और पारंपरिक खेती को प्रोत्साहित करता है।
- IIMR (Indian Institute of Millets Research) हैदराबाद, बाजरा अनुसंधान और प्रसार का राष्ट्रीय केंद्र है।