कर्नाटक और तेलंगाना के किसानों के लिए SMART-CROP परियोजना शुरू
कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने और छोटे किसानों की जलवायु प्रतिरोधक क्षमता को सशक्त करने के उद्देश्य से कर्नाटक और तेलंगाना में SMART-CROP नामक तीन वर्षीय परियोजना की शुरुआत की गई है। इस परियोजना से इन राज्यों के 8,000 से अधिक छोटे किसान लाभान्वित होंगे।
SMART-CROP परियोजना क्या है?
SMART-CROP (Sustainable Monitoring and Real-time Tracking for Crop Resilience and Optimal Practices) परियोजना का उद्देश्य कृषि में उपग्रह चित्रण, रिमोट सेंसिंग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI/ML) जैसे उन्नत तकनीकी उपकरणों का उपयोग कर फसल की वास्तविक समय में निगरानी करना है। इससे किसानों को जलवायु परिवर्तन, कीट और रोग आक्रमण, तथा मृदा क्षरण जैसी समस्याओं का समय रहते समाधान करने में मदद मिलेगी।
यह परियोजना SBI फाउंडेशन के LEAP कार्यक्रम के तहत संचालित की जा रही है, जिसमें यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (UAS), रायचूर, ICRISAT (इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स) और एग्रीब्रिज भागीदार हैं।
परियोजना के लाभ और साझेदारों की भूमिका
SBI फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक संजय प्रकाश ने बताया कि इस परियोजना के माध्यम से किसानों को तकनीक आधारित समाधान उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे फसल की उत्पादकता और स्थिरता में वृद्धि होगी। ICRISAT के महानिदेशक हिमांशु पाठक के अनुसार, यह परियोजना न केवल खेत स्तर पर जोखिम कम करेगी, बल्कि खाद्य हानि को भी अरबों डॉलर तक घटा सकती है।
इस अवसर पर IAS अधिकारी दिव्या देवराजन (CEO, SERP) ने भी भाग लिया और किसान-केंद्रित नवाचारों की महत्ता पर बल दिया, जिससे भारत में कृषि विकास को गति मिल सके।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ICRISAT की स्थापना 1972 में हुई थी और इसका मुख्यालय हैदराबाद में स्थित है।
- SMART-CROP परियोजना के तहत उपग्रह डेटा के साथ AI और मशीन लर्निंग का प्रयोग किया जाएगा।
- SERP (Society for Elimination of Rural Poverty) आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ग्रामीण गरीबी उन्मूलन की एक प्रमुख संस्था है।
- SBI फाउंडेशन देश में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में CSR परियोजनाएं चलाता है।
SMART-CROP परियोजना छोटे किसानों के लिए एक क्रांतिकारी पहल है, जो उन्हें मौसम और जैविक संकटों से सुरक्षित रखते हुए वैज्ञानिक और टिकाऊ खेती की ओर अग्रसर करेगी। यह परियोजना न केवल उत्पादकता बढ़ाएगी, बल्कि भारत के कृषि भविष्य को भी अधिक सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाएगी।