करूर की रैली में भगदड़: कंप्रेसिव एस्फिक्सिया से हुई मौतें और भीड़ सुरक्षा की अनदेखी

करूर की रैली में भगदड़: कंप्रेसिव एस्फिक्सिया से हुई मौतें और भीड़ सुरक्षा की अनदेखी

तमिलनाडु के करूर में अभिनेता-राजनेता विजय की पार्टी टीवीके (TVK) की रैली के दौरान हुई भगदड़ में 41 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जिनमें 9 बच्चे भी शामिल थे। यह घटना एक बार फिर भारत में भीड़ प्रबंधन की विफलता को उजागर करती है, जहां आयोजनों में भीड़ के दबाव से लोगों की जान चली जाती है। इस प्रकार की मौतें आमतौर पर कंप्रेसिव एस्फिक्सिया के कारण होती हैं, जिसमें शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती।

एस्फिक्सिया क्या है?

एस्फिक्सिया एक चिकित्सकीय स्थिति है जिसमें शरीर को वह ऑक्सीजन नहीं मिलती जिसकी उसे आवश्यकता होती है। सांस लेने की प्रक्रिया में फेफड़ों के माध्यम से ऑक्सीजन रक्त में जाती है और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकलती है। जब यह प्रक्रिया रुक जाती है, तो व्यक्ति बेहोश हो सकता है या उसकी मृत्यु भी हो सकती है।

एस्फिक्सिया के प्रकार

एस्फिक्सिया के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • मैकेनिकल एस्फिक्सिया: जब कोई वस्तु या दबाव सांस लेने में बाधा डालता है।
  • ट्रॉमेटिक एस्फिक्सिया: जब छाती पर किसी भारी वस्तु का दबाव रक्त संचार को प्रभावित करता है।
  • पेरिनेटल एस्फिक्सिया: नवजात शिशु को जन्म से पहले या बाद में ऑक्सीजन की कमी होना।
  • कंप्रेसिव एस्फिक्सिया: जब भीड़ या भारी वस्तु शरीर पर इतना दबाव डालती है कि व्यक्ति सांस नहीं ले पाता।

इसके अलावा, सफोकेशन, केमिकल एस्फिक्सिया, स्ट्रैंगुलेशन और डूबने जैसी स्थितियाँ भी एस्फिक्सिया की श्रेणी में आती हैं।

कंप्रेसिव एस्फिक्सिया कैसे होती है?

जब भीड़ अत्यधिक घनी हो जाती है और लोगों के बीच जगह नहीं बचती, तो वे एक-दूसरे के ऊपर दबने लगते हैं। इस स्थिति में छाती पर इतना दबाव पड़ता है कि डायाफ्राम काम नहीं कर पाता और फेफड़ों में हवा आना-जाना रुक जाता है। इससे ऑक्सीजन की कमी और कार्बन डाइऑक्साइड की अधिकता होने लगती है, जिससे मौत हो सकती है।

कितनी भीड़ सांस लेने में बाधा डाल सकती है?

सामान्य रूप से, एक वर्ग मीटर में 5 लोग तक की भीड़ सुरक्षित मानी जाती है। यदि यह संख्या 6 या 7 लोगों तक पहुँच जाए, तो यह खतरनाक हो जाती है। ब्रिटेन के ग्रीन गाइड टू सेफ्टी एट स्पोर्ट्स ग्राउंड्स के अनुसार, खड़े होने वाली जगह पर अधिकतम भीड़ सीमा 4.7 लोग प्रति वर्ग मीटर मानी जाती है।
भीड़ की घनता बढ़ने पर हाइपोक्सिया (ऑक्सीजन की कमी) और हाइपरकैप्निया (कार्बन डाइऑक्साइड की अधिकता) जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।

भीड़ में खुद को कैसे सुरक्षित रखें?

भीड़ में सुरक्षा के लिए निम्नलिखित सुझाव अपनाने चाहिए:

  • कार्यक्रम स्थल की पूर्व जानकारी और निकास मार्गों का अध्ययन करें।
  • मौसम की स्थिति की जानकारी रखें — अत्यधिक गर्मी या बारिश की स्थिति में विशेष सावधानी बरतें।
  • अकेले न जाएं; एक साथी अवश्य रखें।
  • भीड़ में फंसने की स्थिति में तिरछी दिशा में किनारे की ओर बढ़ने की कोशिश करें।
  • रेलिंग पकड़ें और भारी वस्तुओं से दूर रहें।
  • यदि माहौल असुरक्षित लगे तो समय रहते वहाँ से निकल जाएं।
  • चमकीले कपड़े पहनें और आपात स्थिति में मिलने का पूर्व-निर्धारित स्थान तय करें।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • करूर हादसे में मारे गए लोगों में से कई को कंप्रेसिव एस्फिक्सिया के कारण मौत हुई।
  • भारत में हर साल धार्मिक आयोजनों और राजनीतिक रैलियों में भीड़ नियंत्रण की विफलता से दर्जनों मौतें होती हैं।
  • 2008 में जोधपुर में चामुंडा देवी मंदिर की भगदड़ में 224 लोगों की जान गई थी।
  • भीड़ नियंत्रण में असफलता के मामलों में कोर्ट को ‘गंभीर आपराधिक लापरवाही’ साबित करनी होती है।
Originally written on October 6, 2025 and last modified on October 6, 2025.

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