करबी आंगलोंग में 1,000 मेगावाट सौर परियोजना से ADB का हाथ पीछे, स्थानीय विरोध की जीत

असम के करबी आंगलोंग में प्रस्तावित 1,000 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना को लेकर स्थानीय आदिवासी समुदायों के विरोध के बाद एशियाई विकास बैंक (ADB) ने $434.25 मिलियन के ऋण को वापस ले लिया है। यह परियोजना असम सरकार की ‘मुख्यमंत्री सौर शक्ति प्रकल्प’ योजना के तहत प्रस्तावित थी और इसके लिए लगभग 2,396.5 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना था।

परियोजना का विवरण और विरोध

इस परियोजना में असम सरकार ने लगभग 18,000 बीघा भूमि का अधिग्रहण कर सौर पार्क स्थापित करने की योजना बनाई थी, जो नागालैंड की सीमा से लगे खटखटी क्षेत्र में प्रस्तावित था। इसमें 24 गांवों के विस्थापन की आशंका थी। करबी, नागा, कचारी और आदिवासी समुदायों ने इसके खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष किया।

ADB द्वारा ऋण वापसी

ADB ने 31 मई 2025 को जानकारी दी कि उसने भारत सरकार के अनुरोध पर ऋण को वापस ले लिया है। यह अनुरोध 23 मई को वित्त मंत्रालय द्वारा ADB को भेजे गए एक पत्र के माध्यम से किया गया था। पत्र में असम सरकार के आग्रह का हवाला दिया गया था।

समुदायों की भूमिका और जीत

स्थानीय संगठन “Karbi Anglong Solar Power Project Affected People’s Rights Committee” (KASPAPPC) ने इस परियोजना के खिलाफ नेतृत्व किया। उनका आरोप था कि जमीन अधिग्रहण के लिए फर्जी अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी किए गए और जन-सुनवाई में धोखाधड़ी की गई। CPI (Liberation HLC), APHLC और नेशनल पीपल्स पार्टी जैसे दलों ने इस आंदोलन को समर्थन दिया।
KASPAPPC के संयोजक प्रणब डोले ने कहा, “यह लोगों की सरकार के खिलाफ एकता और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की जीत है। हम चाहते हैं कि सरकार इस परियोजना को पूरी तरह रद्द करने की सार्वजनिक घोषणा करे।”

छठी अनुसूची और आदिवासी भूमि की सुरक्षा

यह क्षेत्र संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आता है, जो आदिवासी स्वशासन और भूमि अधिकारों की सुरक्षा करता है। आंदोलनकारी नेताओं ने मांग की है कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि इन क्षेत्रों की भूमि किसी बाहरी निवेश या परियोजना के तहत अधिग्रहित न हो।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • एशियाई विकास बैंक (ADB) का मुख्यालय मेट्रो मनीला, फिलीपींस में स्थित है।
  • ADB की स्थापना 1966 में हुई थी और इसके 69 सदस्य देश हैं।
  • ADB का उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में समावेशी और सतत विकास को बढ़ावा देना है।
  • इस परियोजना में कुल लागत ₹4,000 करोड़ आंकी गई थी, जिसमें से 19.29% निजी निवेश और 16.15% भारत सरकार द्वारा वहन किया जाना था।
  • ADB इस परियोजना के लिए $1 मिलियन तकनीकी सहायता के रूप में भी देने वाला था।

ADB का ऋण वापस लेना न केवल स्थानीय समुदायों की जीत है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण संकेत भी है कि विकास परियोजनाएं तभी स्वीकार्य होंगी जब वे पारदर्शिता, सहमति और संवैधानिक मूल्यों पर आधारित हों। असम सरकार के लिए अब यह आवश्यक हो गया है कि वह स्पष्ट रूप से इस परियोजना को रद्द करने की घोषणा करे और आदिवासी समुदायों की भूमि और पहचान की रक्षा सुनिश्चित करे।

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