कन्याकुमारी के नाम पर खोजी गई नई प्रजाति कीलविहीन सर्प मछली

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अधीन कार्यरत नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज़ (NBFGR), कोच्चि के शोधकर्ताओं ने एक अद्वितीय खोज करते हुए एक नई कीलविहीन सर्प मछली (finless snake eel) की प्रजाति की पहचान की है। इसे ‘Apterichtus kanniyakumari’ नाम दिया गया है, जो कन्याकुमारी जिले की सांस्कृतिक, भाषाई, ऐतिहासिक और भौगोलिक महत्ता को सम्मान देने के उद्देश्य से रखा गया है। इस खोज को अंतरराष्ट्रीय शोध-पत्रिका ‘Zootaxa’ में प्रकाशित किया गया है।

कोलाचेल तट से मिली नई प्रजाति

यह नई प्रजाति ‘Apterichtus’ वंश (genus) से संबंधित है और इसे तमिलनाडु के कोलाचेल तट पर गहराई में समुद्री ट्रॉलिंग के दौरान पकड़ी गई दो मछलियों के नमूनों से पहचाना गया। वैज्ञानिकों ने बताया कि ये नमूने लगभग 100 मीटर की गहराई से प्राप्त हुए थे।
NBFGR कोच्चि के क्षेत्रीय केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक और प्रमुख टी. टी. अजीत कुमार ने बताया कि विस्तृत रूपात्मक (morphological), कशेरुका गणना (vertebral counts) और डीएनए आधारित आणविक विश्लेषण के बाद यह स्पष्ट हुआ कि यह प्रजाति विज्ञान के लिए अब तक अज्ञात थी।

विशिष्ट जैविक लक्षण

Zootaxa में प्रकाशित शोध के अनुसार, इस प्रजाति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  • सिर की लंबाई कुल लंबाई (TL) की 9.6-9.7%
  • पूंछ की लंबाई कुल लंबाई की 1.8-1.9%
  • गल क्षेत्रों पर शरीर की गहराई 42.1-54.8% TL
  • तीन प्रीओपर्क्यूलर और 9 सुप्राटेम्पोरल छिद्र
  • जबड़ों और वोमर पर कोनिकल यूनिसीरियल दांत
  • सुनहरा-पीला शरीर, नीचे का सिर सफेद व पीली धारियों के साथ
  • आंखों के पीछे, रेक्टस क्षेत्र में और रेक्टस की उत्पत्ति के पीछे तीन काले धब्बे
  • कशेरुका सूत्र (vertebral formula) का औसत 52-131

इसके अलावा, माइटोकॉन्ड्रियल CO1 जीन पर आधारित आणविक विश्लेषण में पाया गया कि यह प्रजाति Apterichtus nanjilnaduensis नामक प्रजाति के साथ एक भिन्न क्लैड (clade) बनाती है, जो इसकी आनुवंशिक विशिष्टता को सिद्ध करता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • Apterichtus kanniyakumari प्रजाति, NBFGR द्वारा भारतीय तट से खोजी गई 16वीं नई मछली प्रजाति है।
  • यह खोज तमिलनाडु के कोलाचेल तट से हुई, जो अरब सागर के तहत आता है।
  • इस प्रजाति की पहचान गहराई में की गई डीप-सी ट्रॉलिंग के दौरान प्राप्त नमूनों से हुई।
  • Apterichtus वंश की मछलियाँ सर्प जैसी आकृति और बिना पंखों के होती हैं, जिन्हें आमतौर पर ‘स्नेक ईल’ कहा जाता है।

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