कनाडा की नई कैबिनेट में भारतीय मूल के चार मंत्री कौन हैं और उनकी भूमिकाएं क्या हैं?

कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की नई कैबिनेट में चार भारतीय मूल के सांसदों को महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया गया है। इनमें अनीता आनंद, मनिंदर सिद्धू, रूबी सहोता और रणदीप सराय शामिल हैं। इनकी नियुक्तियाँ कनाडा की विविधता और बहुसांस्कृतिक समाज के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
1. अनीता आनंद – विदेश मंत्री
अनीता आनंद को कनाडा की नई विदेश मंत्री नियुक्त किया गया है, जिससे वह इस पद पर पहुंचने वाली पहली हिंदू महिला बन गई हैं। उन्होंने भगवद गीता पर हाथ रखकर शपथ ली, जो उनके सांस्कृतिक मूल्यों और आस्था का प्रतीक है।
नैतिकता और कानून में विशेषज्ञता रखने वाली अनीता ने पहले रक्षा मंत्री और सार्वजनिक सेवा एवं खरीद मंत्री के रूप में कार्य किया है। कोविड-19 महामारी के दौरान उन्होंने वैक्सीन और चिकित्सा आपूर्ति की खरीद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी शिक्षा डलहौज़ी विश्वविद्यालय, टोरंटो विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से हुई है।
2. मनिंदर सिद्धू – अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री
ब्रैम्पटन ईस्ट से सांसद मनिंदर सिद्धू को अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री नियुक्त किया गया है। इस पद पर उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब कनाडा और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ रहे हैं।
सिद्धू ने पहले संसद में विभिन्न मंत्रालयों के संसदीय सचिव के रूप में कार्य किया है। उनकी पृष्ठभूमि व्यवसाय और रियल एस्टेट में है, और उन्होंने टोरंटो विश्वविद्यालय से व्यापार में डिग्री प्राप्त की है।
3. रूबी सहोता – अपराध नियंत्रण सचिव
ब्रैम्पटन नॉर्थ से सांसद रूबी सहोता को अपराध नियंत्रण सचिव नियुक्त किया गया है। इस भूमिका में वह सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री का समर्थन करेंगी। रूबी ने पहले अमेरिका में वाणिज्यिक कानून में वकालत की है और कनाडा में प्रवासन और पारिवारिक कानून में विशेषज्ञता रखती हैं।
वह 2015 से सांसद हैं और संसद की प्रक्रियात्मक मामलों की स्थायी समिति की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।
4. रणदीप सराय – अंतरराष्ट्रीय विकास सचिव
सरे सेंट्रे से सांसद रणदीप सराय को अंतरराष्ट्रीय विकास सचिव नियुक्त किया गया है। इस पद में वह कनाडा की वैश्विक सहायता पहलों, जैसे मानवीय सहायता, शिक्षा, स्वास्थ्य कार्यक्रमों और गरीबी उन्मूलन प्रयासों की निगरानी करेंगे।
सराय एक अनुभवी सांसद हैं, जो 2015 से संसद में हैं और इससे पहले रियल एस्टेट और प्रवासन कानून में वकालत कर चुके हैं।