कक्षा 10 और 12 के लिए साझा बोर्ड की सिफारिश: शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में केंद्र का कदम

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में सात राज्यों को कक्षा 10 और 12 के लिए साझा (कॉमन) बोर्ड अपनाने की सिफारिश की है। इस सिफारिश का मुख्य आधार यह है कि वर्ष 2024 में छात्र विफलताओं का 66% बोझ इन्हीं राज्यों पर पड़ा था। यह पहल न केवल शैक्षणिक प्रदर्शन को सुधारने का लक्ष्य रखती है, बल्कि समग्र रूप से स्कूल प्रणाली में समानता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

कौन से राज्य हैं शामिल?

जिन सात राज्यों को यह सिफारिश भेजी गई है, वे हैं:

  • आंध्र प्रदेश
  • असम
  • केरल
  • मणिपुर
  • ओडिशा
  • तेलंगाना
  • पश्चिम बंगाल

इन राज्यों के विद्यार्थियों में विफलता दर अन्य राज्यों की तुलना में काफी अधिक पाई गई।

बोर्ड प्रणाली का वर्तमान परिदृश्य

  • भारत में कुल 66 स्कूल परीक्षा बोर्ड हैं, जिनमें:

    • 3 राष्ट्रीय स्तर के बोर्ड (जैसे CBSE, CISCE, NIOS)
    • 63 राज्य स्तर के बोर्ड (54 नियमित और 12 ओपन बोर्ड)
  • इन 66 में से शीर्ष 33 बोर्ड 97% विद्यार्थियों को कवर करते हैं, जबकि शेष 33 बोर्ड सिर्फ 3% छात्रों को।

समस्या की जड़: असंगत पाठ्यक्रम और मूल्यांकन

शिक्षा सचिव संजय कुमार के अनुसार, अलग-अलग बोर्डों की प्रणाली छात्रों की शैक्षणिक उपलब्धियों को प्रभावित कर रही है। उन्होंने कहा, “साझा बोर्ड शिक्षा व्यवस्था को सरल बनाता है और बेहतर परिणाम सुनिश्चित करता है।” मूल्यांकन प्रणाली, पाठ्यक्रम, प्रश्नपत्र निर्माण और कक्षा उन्नयन की प्रक्रिया में मानकीकरण की आवश्यकता है।

NIOS और ओपन बोर्ड्स की भूमिका

  • ओपन स्कूल बोर्ड्स का प्रदर्शन चिंताजनक रहा:

    • कक्षा 10 पास दर: 54%
    • कक्षा 12 पास दर: 57%
  • दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में NIOS की सशक्त उपस्थिति है, लेकिन अन्य राज्यों में इसे और विस्तारित करने की जरूरत है।
  • समग्र शिक्षा अभियान (Samagra Shiksha Abhiyan) और अभिभावकों की भागीदारी को बढ़ावा देना आवश्यक है, जिससे ड्रॉपआउट्स को रोका जा सके।

प्रदर्शन के क्षेत्रीय रुझान

  • केरल, ओडिशा और मणिपुर जैसे राज्यों में साझा बोर्ड प्रणाली पहले से लागू है और वहां पास दर 97% से अधिक रही है—केरल में तो यह 99.96% रही।
  • भाषा माध्यम के अनुसार प्रदर्शन में भी अंतर पाया गया:

    • उड़िया और मलयालम माध्यम वाले छात्रों का प्रदर्शन बेहतर रहा।
    • कन्नड़, तेलुगु और असमिया माध्यम में प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहा।
  • लड़कियाँ विज्ञान विषय में लड़कों से बेहतर कर रही हैं—28 लाख लड़कियों ने विज्ञान में सफलता पाई, जो कि कला विषय (27.2 लाख) से अधिक है।

नवोदय विद्यालयों की उत्कृष्टता

  • नवोदय विद्यालयों (NVs) में 72% छात्रों ने NEET-UG परीक्षा उत्तीर्ण की।
  • केंद्रीय विद्यालय (KVs) और नवोदय विद्यालयों के छात्र इंजीनियरिंग परीक्षाओं में भी अच्छा कर रहे हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत में कुल 66 स्कूल बोर्ड हैं; शीर्ष 33 बोर्डों में 97% छात्र शामिल हैं।
  • NIOS की स्थापना 1989 में की गई थी; यह राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान है।
  • समग्र शिक्षा अभियान 2018 में प्रारंभ हुआ था, जो स्कूल शिक्षा को एकीकृत दृष्टिकोण से संबोधित करता है।
  • नवोदय विद्यालय ग्रामीण प्रतिभाशाली छात्रों को कक्षा 6 से 12 तक आवासीय शिक्षा प्रदान करते हैं।

शिक्षा मंत्रालय की यह पहल शिक्षा व्यवस्था को अधिक समावेशी, समान और गुणवत्ता-संपन्न बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है। साझा बोर्ड प्रणाली छात्रों के लिए न केवल मूल्यांकन में पारदर्शिता लाएगी, बल्कि उच्च शिक्षा की तैयारी को भी अधिक सुसंगत बनाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *