कंबोडिया ने किया फॉसिल फ्यूल नॉन-प्रोलिफरेशन ट्रीटी का समर्थन, COP30 में ऐतिहासिक घोषणा

कंबोडिया ने किया फॉसिल फ्यूल नॉन-प्रोलिफरेशन ट्रीटी का समर्थन, COP30 में ऐतिहासिक घोषणा

ब्राज़ील के बेलेम शहर में चल रहे COP30 जलवायु सम्मेलन के दौरान कंबोडिया ने औपचारिक रूप से फॉसिल फ्यूल नॉन-प्रोलिफरेशन ट्रीटी का समर्थन करने की घोषणा की है। यह कदम उन देशों के बढ़ते गठबंधन को और मज़बूती देता है जो जीवाश्म ईंधनों (कोयला, तेल और गैस) के चरणबद्ध समाप्ति की दिशा में वैश्विक समझौते की मांग कर रहे हैं।

कंबोडिया की घोषणा और इसका महत्व

उच्च-स्तरीय बैठक में कंबोडिया ने इस संधि के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया, जिससे इसके औपचारिक समर्थक देशों की संख्या अब अठारह हो गई है। कई अन्य देश अभी पर्यवेक्षक (observer) के रूप में जुड़े हुए हैं। कंबोडिया ने यह भी स्पष्ट किया कि विकासशील देशों को निष्पक्ष और टिकाऊ ऊर्जा संक्रमण के लिए तकनीकी सहायता, जलवायु वित्त (climate finance) और क्षमता निर्माण समर्थन की आवश्यकता होगी। इस घोषणा ने दक्षिण-पूर्व एशिया में जलवायु नेतृत्व की नई दिशा तय की है।

प्रस्तावित संधि के उद्देश्य

फॉसिल फ्यूल नॉन-प्रोलिफरेशन ट्रीटी का मुख्य उद्देश्य जीवाश्म ईंधनों के नए विस्तार पर रोक लगाना, उनके नियोजित और न्यायसंगत चरणबद्ध समाप्ति की रूपरेखा तैयार करना तथा संवेदनशील देशों के लिए वित्तीय सहायता तंत्र को सशक्त बनाना है। यह पहल पेरिस समझौते के लक्ष्यों के अनुरूप 1.5°C तापमान सीमा को बनाए रखने में सहायक मानी जा रही है। इस संधि के समर्थक इसे जलवायु संकट से निपटने की दिशा में कानूनी रूप से बाध्यकारी (binding) समाधान बताते हैं।

क्षेत्रीय समर्थन और जलवायु कूटनीति

नेपाल, श्रीलंका और अन्य एशियाई देशों के मंत्रियों ने इस पहल के प्रति अपना समर्थन जताया है। इन देशों ने बताया कि जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक दुष्प्रभाव विकासशील और निम्न-आय वाले देशों पर पड़ता है। कंबोडिया के इस कदम का स्वागत क्षेत्रीय जलवायु नेटवर्कों ने किया है और माना जा रहा है कि इससे दक्षिण-पूर्व एशिया के अन्य देश भी इस पहल से जुड़ने के लिए प्रेरित होंगे।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • समर्थक देशों की संख्या: 18
  • आयोजन स्थल: COP30, बेलेम (ब्राज़ील)
  • संधि का उद्देश्य: कोयला, तेल और गैस का चरणबद्ध निष्कासन
  • आगामी सम्मेलन: अप्रैल 2026 में कोलंबिया में “इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन फॉसिल फ्यूल फेज-आउट”
  • संधि का स्वरूप: कानूनी रूप से बाध्यकारी (Binding Legal Framework)

संवेदनशील देशों की चिंताएँ और आगे की राह

वानुआतु, तुवालु और कैरेबियाई देशों के मंत्रियों ने दोहराया कि जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता ही जलवायु संकट की जड़ है। उन्होंने प्रमुख उत्सर्जक देशों से इस संधि की वार्ताओं में शामिल होने की अपील की। COP30 की चर्चाएँ अगले वर्ष होने वाले “फॉसिल फ्यूल फेज-आउट” सम्मेलन की रूपरेखा तय करने में निर्णायक भूमिका निभाएँगी। कंबोडिया की यह पहल विकासशील देशों की सामूहिक आवाज़ को और सशक्त बनाते हुए जलवायु न्याय और स्वच्छ ऊर्जा के वैश्विक अभियान को नई गति प्रदान करेगी।

Originally written on November 19, 2025 and last modified on November 19, 2025.

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