कंपनीज़ (संशोधन) विधेयक, 2019

कंपनीज़ (संशोधन) विधेयक, 2019

संसद ने कंपनीज़ संशोधन विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी है।

किए गए संशोधन 

  • कंपनीज़ एक्ट 2013 के अनुसार, केवल सार्वजनिक कंपनियों के कुछ वर्ग ही डीमैटरियलाइज्ड फॉर्म (डीमैट) जारी कर सकते हैं, ये संशोधन विधेयक उसे बढ़ाकर अन्य वर्गों और गैर-सूचीबध्द कंपनियों तक कर देगा
  • विधेयक में कंपनी अधिनियम, 2013 में 18 में से 16 उल्लिखित अपराधों जैसे वार्षिक रिटर्न भरने में विफलता, छूट में शेयरों को जारी करना को वर्गीकृत कर दिया गया है,जहां केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी जुर्माना लगा सकते हैं।
  • इसके अलावा विधेयक में अन्य अपराधों के लिए जुर्माने का प्रावधान है।
  • CSR के लिए कंपनियों को तीन साल की अवधि दी गयी है और पहले साल में उन्हें इस बारे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पूरी करनी है।
  • इस विधेयक में प्रावधान किया गया है कि किसी भी अनिर्दिष्ट वार्षिक CSR फंड को वित्तीय वर्ष के छह महीने के भीतर अधिनियम की अनुसूची 7 (जैसे, पीएम रिलीफ फंड) के तहत निधि में स्थानांतरित किया जाना चाहिए।
  • साथ ही यह विधेयक मंत्रालय के क्षेत्रीय निदेशकों को 25 लाख के जुर्माने का अधिकार देगा जो पहले 5 लाख था।
  • पांच करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित करने वाली, एक हजार करोड़ रुपये के कारोबार वाली कंपनियों को सीएसआर की गतिविधियों को दिखाना होगा और इस बारे में केवल स्पष्टीकरण से काम नहीं चलेगा।
  • विधेयक में प्रत्येक कंपनी को एक ऐसे व्यक्ति की पहचान करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है, जो एक महत्वपूर्ण लाभकारी स्वामी है (किसी कंपनी में कम से कम 25% शेयर रखने वाला व्यक्ति या कंपनी पर महत्वपूर्ण प्रभाव या नियंत्रण रखने वाला है)।

विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों से कारोबार में सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) बढ़ेगी और कारोबार सुगमता सूचकांक में भारत का स्थान बेहतर होगा।

Originally written on August 1, 2019 and last modified on August 1, 2019.

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