ओल्लो जनजाति की महिलाओं के लिए असम राइफल्स की पहल: आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ठोस कदम
आत्मनिर्भरता और समावेशी विकास को बढ़ावा देने की दिशा में असम राइफल्स की खोंसा बटालियन ने अरुणाचल प्रदेश के तिराप जिले के लाजू गांव में ‘ऑपरेशन साद्भावना’ के तहत एक नई कौशल आधारित पहल शुरू की है। इस पहल के अंतर्गत 26 अक्टूबर को ओल्लो जनजाति की महिलाओं को सिलाई मशीनें वितरित की गईं, जिससे उन्हें रोजगार के नए अवसर मिल सकें और वे उद्यमिता की ओर अग्रसर हो सकें।
आजीविका के अवसर और महिला सशक्तिकरण
असम राइफल्स द्वारा शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य लाजू क्षेत्र की महिलाओं को व्यावसायिक कौशल प्रदान करना है, जिससे वे टेलरिंग और छोटे कुटीर उद्योगों के माध्यम से आर्थिक आत्मनिर्भरता प्राप्त कर सकें। यह न केवल पारिवारिक आय में वृद्धि करेगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ बनाएगा।
अधिकारियों के अनुसार, यह पहल तिराप जिले में शांति स्थापना, सामुदायिक विश्वास और सतत विकास को बढ़ावा देने की असम राइफल्स की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। तिराप जिला अरुणाचल प्रदेश के तीन उग्रवाद प्रभावित जिलों में से एक है, जहाँ इस प्रकार की सकारात्मक पहलें सामाजिक समरसता के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
समर्पित सहयोग और एकजुट समर्थन
सिलाई मशीन वितरण समारोह में असम राइफल्स के वरिष्ठ अधिकारी, लाजू पुलिस स्टेशन के पुलिसकर्मी और स्थानीय परंपरागत मुखिया उपस्थित रहे। यह आयोजन सुरक्षा बलों और स्थानीय समुदाय के बीच सहयोग और विश्वास का प्रतीक बना।
ओल्लो जनजाति की सांस्कृतिक विरासत
ओल्लो जनजाति लाजू सर्कल की मूल निवासी है और पारंपरिक कुल आधारित प्रणाली का पालन करती है, जिसमें वंशानुगत मुखियापन व्यवस्था है। यह जनजाति अपने विशिष्ट चेहरे के टैटू और एक समय की सिर-शिकार परंपरा के लिए प्रसिद्ध रही है। हालांकि, आज यह समुदाय विकास की मुख्यधारा से जुड़ते हुए अपनी सांस्कृतिक पहचान को सहेजने का प्रयास कर रहा है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ‘ऑपरेशन साद्भावना’ भारतीय सेना और अर्द्धसैनिक बलों द्वारा पूर्वोत्तर भारत में शांति और विकास हेतु चलाया जाने वाला नागरिक-मित्र कार्यक्रम है।
- तिराप जिला अरुणाचल प्रदेश के तीन प्रमुख उग्रवाद प्रभावित जिलों में शामिल है।
- ओल्लो जनजाति अरुणाचल प्रदेश के लाजू सर्कल में निवास करती है और समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं की वाहक है।
- असम राइफल्स, जिसे ‘नॉर्थ ईस्ट का प्रहरी’ कहा जाता है, देश की सबसे पुरानी अर्द्धसैनिक बल है जो सुरक्षा के साथ-साथ समाज कल्याण में भी सक्रिय भूमिका निभाती है।
असम राइफल्स द्वारा शुरू की गई यह पहल महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रशंसनीय प्रयास है, जो न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक स्थिरता को भी मजबूती प्रदान करेगा। यह उदाहरण दर्शाता है कि जब सुरक्षा और विकास साथ चलते हैं, तो दूरस्थ और संवेदनशील क्षेत्रों में भी बदलाव की लहर लाई जा सकती है।