ओडिशा के बहुड़ा मुहाने में मिला फ्लाउंडर की नई प्रजाति: Pseudorhombus bahudaensis की खोज

ओडिशा के बहुड़ा मुहाने में मिला फ्लाउंडर की नई प्रजाति: Pseudorhombus bahudaensis की खोज

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ZSI) के एस्ट्यूरिन बायोलॉजी रीजनल सेंटर की एक शोध टीम ने ओडिशा के गंजाम जिले स्थित बहुड़ा मुहाने (Bahuda Estuary) से फ्लाउंडर मछली की एक नई प्रजाति की खोज की है। इस प्रजाति का नाम Pseudorhombus bahudaensis रखा गया है, जो इस क्षेत्र की पारिस्थितिक महत्ता को दर्शाता है। यह खोज समुद्री जैव विविधता के क्षेत्र में भारत के बढ़ते योगदान का स्पष्ट संकेत है।

नई खोज और उसका वैज्ञानिक महत्व

अब तक इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में Pseudorhombus arsius यानी “गैंगेटिक लार्जटूथ फ्लाउंडर” को एकल प्रजाति माना जाता था। लेकिन इस अध्ययन ने यह अवधारणा बदल दी है। शोधकर्ताओं ने पारंपरिक टैक्सोनॉमी को आधुनिक डीएनए बारकोडिंग और फाइलोजेनेटिक टूल्स के साथ मिलाकर अध्ययन किया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि morphological रूप से समान दिखने वाली ये मछलियाँ वास्तव में दो पूरी तरह अलग जीनस समूहों की प्रतिनिधि हैं।
नई प्रजाति Pseudorhombus bahudaensis और P. arsius के बीच जेनेटिक अंतर लगभग 1.7 करोड़ वर्ष पूर्व से विद्यमान है, जो एक प्राचीन विकासात्मक विभाजन का प्रमाण है।

बहुड़ा मुहाने का पारिस्थितिक महत्व

यह नई प्रजाति सबसे पहले बहुड़ा मुहाने में पाई गई, जो ओडिशा और आंध्र प्रदेश की सीमा पर स्थित है। बाद में इसे गंजाम के गोपालपुर और पुरी के पेंठाकाटा तटों पर भी देखा गया। यह खोज इस बात का प्रमाण है कि बहुड़ा मुहाना पश्चिमी बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में एक जैव विविधता हॉटस्पॉट के रूप में उभर रहा है।
यह क्षेत्र न केवल अनुसंधान की दृष्टि से बल्कि मत्स्य व्यापार और पारिस्थितिक संतुलन के लिहाज़ से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • Pseudorhombus bahudaensis फ्लाउंडर मछलियों की पैरालिक्थिडी (Paralichthyidae) कुल की सदस्य है।
  • फ्लाउंडर मछलियाँ समुद्री तटीय क्षेत्रों में पाई जाने वाली तलछटी मछलियाँ होती हैं, जो अपनी समतल आकृति और दोनों आँखों का एक ही ओर होना के लिए जानी जाती हैं।
  • बहुड़ा मुहाना बंगाल की खाड़ी के पश्चिमी तट पर स्थित है और यह ओडिशा-आंध्र प्रदेश सीमा को छूता है।
  • डीएनए बारकोडिंग एक आधुनिक जैव तकनीक है जो प्रजातियों की पहचान और वर्गीकरण के लिए विशिष्ट जीन अनुक्रमों का उपयोग करती है।
Originally written on October 27, 2025 and last modified on October 27, 2025.

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