ओडिशा के देब्रीगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में बाघों की वापसी की तैयारी

ओडिशा के देब्रीगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में बाघों की वापसी की तैयारी

ओडिशा सरकार ने बाघों की संख्या को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। बरगढ़ जिले में स्थित प्रसिद्ध देब्रीगढ़ वन्यजीव अभयारण्य को बाघों के पुनर्वास के लिए संभावित स्थल के रूप में चुना गया है। अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (29 जुलाई) के अवसर पर राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) प्रेम कुमार झा ने इसकी जानकारी साझा की।

देब्रीगढ़ अभयारण्य: बाघ परियोजना के लिए संभावनाएँ

झा के अनुसार, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने देब्रीगढ़ को टाइगर रिजर्व में परिवर्तित करने की तकनीकी अनुमति प्रदान कर दी है। सरकार ने विशेषज्ञ समिति गठित की है, जो कोर क्षेत्र और बफर जोन को चिह्नित कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इसके बाद बाघों को लाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
देब्रीगढ़ अभयारण्य लगभग 347 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और यह हीराकुंड बांध के पास महानदी के किनारे स्थित है। इसे 1985 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था। यह जैव विविधता से समृद्ध स्थल है जहाँ साल, असना, बीजा, आमला, धाउरा जैसे वृक्षों के साथ-साथ तेंदुआ, स्लॉथ भालू, चौंसिंगा, सांभर, गौर, जंगली सूअर और ढोल जैसे जीवों की उपस्थिति है।

बाघ पुनर्स्थापन की चुनौतियाँ

बाघों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करना एक अत्यंत कठिन कार्य है। सतकोसिया टाइगर रिजर्व में 2018 में की गई कोशिश असफल रही थी। मध्य प्रदेश से लाए गए बाघ ‘महावीर’ की शिकारी जाल में फँसने से मृत्यु हो गई थी, जबकि ‘सुंदरी’ नामक बाघिन को मानवीय संघर्ष के कारण वापस भेजना पड़ा था।
हाल ही में, दो बाघिनों ‘जमुना’ और ‘जीनत’ को महाराष्ट्र से सिमिलीपाल टाइगर रिजर्व (STR) लाया गया, जिसमें आंशिक सफलता मिली। जीनत कुछ समय के लिए झारखंड और पश्चिम बंगाल चली गई थी, परंतु उसे वापस लाया गया। अब दोनों अपने-अपने क्षेत्र में स्थिर हैं।
सिमिलीपाल में इनब्रीडिंग (संबंधित बाघों के बीच प्रजनन) एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरी है। इसलिए, STR प्राधिकरण ने महाराष्ट्र से चार नए बाघ (दो नर और दो मादा) लाने का प्रस्ताव रखा है। इन बाघिनों के व्यवहार का अध्ययन कर आगे की रणनीति बनाई जाएगी।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • देब्रीगढ़ वन्यजीव अभयारण्य 1985 में स्थापित हुआ और यह ओडिशा के बरगढ़ जिले में हीराकुंड बाँध के पास स्थित है।
  • यह 347 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और इसमें मिश्रित और शुष्क पर्णपाती वन हैं।
  • यहाँ प्रमुख जीवों में तेंदुआ, स्लॉथ भालू, सांभर, चौंसिंगा, गौर और ढोल शामिल हैं।
  • यह प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है, जैसे क्रेस्टेड सर्पेन्ट ईगल, रेड वेंटेड बुलबुल, फ्लावर पेकर, ट्रिपाई, ड्रोंगो और व्हाइट आई ओरिएंटल।
Originally written on August 1, 2025 and last modified on August 1, 2025.

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