ओडिशा के गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य में मछली पकड़ने पर सात माह की रोक

ओडिशा के गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य में मछली पकड़ने पर सात माह की रोक

ओडिशा के केंद्रापाड़ा ज़िले स्थित गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य में 1 नवंबर से 31 मई तक मछली पकड़ने पर सात महीने की रोक लगा दी गई है। यह निर्णय विलुप्तप्राय ओलिव रिडले समुद्री कछुओं के वार्षिक प्रजनन और अंडे देने के मौसम को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से लिया गया है। गहिरमाथा को भारत के सबसे समृद्ध समुद्री जैवविविधता क्षेत्रों में गिना जाता है, जहां हर वर्ष लाखों कछुए समुद्र तटों पर पहुंचते हैं।

संरक्षण उपाय और निगरानी व्यवस्था

वन विभाग ने कछुओं की सुरक्षा के लिए 14 संरक्षण शिविर स्थापित किए हैं, जिनमें चार अपतटीय शिविर माडली, ससानिपाड़ा, एकाकुला और बाबुबली द्वीपों पर स्थित हैं। चार गश्ती नौकाओं को तैनात किया गया है ताकि अवैध मछली पकड़ने की गतिविधियों को रोका जा सके। साथ ही, जम्बू, तालचुआ और टांटियापाला स्थित समुद्री पुलिस थाने और पारादीप तटरक्षक बल भी निगरानी में वन अधिकारियों की सहायता करेंगे। अभयारण्य के 1,435 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में समुद्र तट से 20 किमी की दूरी तक मछली पकड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।

सुरक्षित प्रजनन और बच्चों के जन्म की तैयारी

वन विभाग के अनुसार, ओलिव रिडले कछुए नवंबर में प्रजनन के लिए पहुंचते हैं और मार्च में अंडे देना शुरू करते हैं। कछुओं की आकस्मिक मृत्यु से बचाने के लिए सभी ट्रॉलरों को टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस (TED) लगाना अनिवार्य किया गया है। यह विशेष उपकरण कछुओं को जाल से सुरक्षित बाहर निकलने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त, अभयारण्य की सीमाओं को 14 बुआ (buoys) द्वारा चिन्हित किया गया है, जिससे निगरानी और नौवहन सुरक्षा बेहतर हो सके।

गहिरमाथा की पारिस्थितिकीय महत्ता

गहिरमाथा को 1997 में समुद्री अभयारण्य घोषित किया गया था और यह विश्व का सबसे बड़ा ओलिव रिडले कछुओं का प्रजनन स्थल (rookery) माना जाता है। हर सर्दी में लाखों कछुए इसके समुद्र तटों पर सामूहिक अंडे देने के लिए एकत्र होते हैं। मार्च 2025 में, 5 से 10 मार्च के बीच 6 लाख से अधिक कछुओं ने इस क्षेत्र में अंडे दिए। ओडिशा अकेले विश्व की ओलिव रिडले जनसंख्या का लगभग 50% और भारत के 90% समुद्री कछुओं को आश्रय प्रदान करता है, जिससे गहिरमाथा का संरक्षण वैश्विक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • गहिरमाथा में 1 नवंबर से 31 मई तक मछली पकड़ना प्रतिबंधित है।
  • अभयारण्य 1,435 वर्ग किमी में फैला है, जो हुकीटोला से धमरा तक विस्तृत है।
  • इसे 1997 में समुद्री अभयारण्य घोषित किया गया था।
  • मार्च 2025 में 6.06 लाख से अधिक कछुओं ने यहां अंडे दिए।

आजीविका और संरक्षण के बीच संतुलन

हालांकि यह प्रतिबंध स्थानीय मछुआरा समुदायों की आजीविका को प्रभावित करता है, परंतु अधिकारी इसे अस्थायी और प्रजाति संरक्षण के लिए आवश्यक कदम बताते हैं। संरक्षणवादियों ने मछुआरों से सहयोग जारी रखने की अपील की है, ताकि दीर्घकालिक पारिस्थितिक संतुलन और भविष्य की आजीविका दोनों संरक्षित रह सकें। गहिरमाथा मॉडल को भारत के अन्य तटीय क्षेत्रों में समुद्री वन्यजीव संरक्षण के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण के रूप में देखा जाता है।

Originally written on November 1, 2025 and last modified on November 1, 2025.

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