ओडिशा के गंजाम जिले के 165 ग्राम पंचायत बने टीबी मुक्त
ओडिशा के गंजाम जिले ने सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। जिले की 165 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त पंचायत के रूप में मान्यता दी गई है। यह कदम भारत सरकार के 2027 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है, जिसमें समुदाय आधारित प्रयासों को केंद्र में रखा गया है।
टीबी मुक्त पंचायतों का सम्मान और भूमिका
जिले के बेरहामपुर शहर में आयोजित एक समारोह में इन पंचायतों के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया। स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि पंचायत सदस्यों ने जागरूकता फैलाने, स्क्रीनिंग कराने और रोगियों की नियमित दवा सेवन सुनिश्चित करने में सक्रिय भूमिका निभाई। टीबी मुक्त पंचायत अभियान के तहत यह मान्यता दी गई है, जिसका उद्देश्य जमीनी स्तर पर सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से रोग नियंत्रण को सशक्त बनाना है।
टीबी मुक्त प्रमाणन के मानक
किसी ग्राम पंचायत को टीबी मुक्त घोषित करने के लिए कुछ सख्त मानक तय किए गए हैं। प्रत्येक पंचायत को प्रति 1,000 जनसंख्या पर कम से कम 30 नमूने एकत्र करने होते हैं। साथ ही सक्रिय टीबी मामलों की दर या तो शून्य होनी चाहिए या अधिकतम 1% से कम रहनी चाहिए। सभी मरीजों को निक्षय मित्र योजना के तहत नियमित पोषण सहायता और उपचार उपलब्ध कराया जाना अनिवार्य है। केवल वही पंचायतें टीबी मुक्त का दर्जा प्राप्त करती हैं जो इन सभी मानकों को पूरा करती हैं।
गंजाम में टीबी के मामलों में लगातार गिरावट
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जिले में टीबी मामलों में लगातार कमी दर्ज की गई है। जनवरी से अक्टूबर 2025 के बीच कुल 4,986 मामले दर्ज हुए, जबकि 2024 में 6,540 और 2023 में 6,698 मामले पाए गए थे। मृत्यु दर भी चार वर्ष पहले के लगभग 4–4.5% से घटकर अब 1.5% रह गई है। इस वर्ष 3,500 से अधिक मरीजों को निक्षय मित्र योजना के तहत पोषण सहायता दी गई, जिससे इलाज में निरंतरता और रिकवरी दर में सुधार हुआ है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- टीबी मुक्त पंचायत अभियान की शुरुआत 24 मार्च 2023 को हुई थी।
- प्रमाणन के लिए प्रति 1,000 जनसंख्या पर 30 नमूनों की जांच और सक्रिय मामलों की न्यूनतम दर आवश्यक है।
- गंजाम जिला मार्च 2026 तक 220 और पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित करने का लक्ष्य रखता है।
- जिला प्रशासन का अंतिम लक्ष्य 2027 तक पूर्ण टीबी उन्मूलन है।
आगे की राह
जिला अधिकारियों ने सामुदायिक भागीदारी को इस उपलब्धि का प्रमुख कारण बताया और आने वाले वर्षों में और अधिक सतर्कता बरतने की अपील की। अब प्रयास इस दिशा में केंद्रित हैं कि सभी पंचायतों में स्क्रीनिंग बढ़ाई जाए, उपचार सहायता को सुदृढ़ किया जाए और हर पंचायत को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप टीबी मुक्त बनाया जा सके।