ऑपरेशन स्पाइडर वेब: यूक्रेन का रूस पर अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला

1 जून 2025 को यूक्रेन ने “ऑपरेशन स्पाइडर वेब” नामक एक अत्यंत गोपनीय और साहसी ड्रोन हमला किया, जिसने रूस के पांच प्रमुख सैन्य हवाई अड्डों को निशाना बनाया। इस हमले में 117 छोटे और सस्ते ड्रोन का उपयोग किया गया, जिन्हें रूस के भीतर छिपाकर रखा गया था। इस ऑपरेशन की योजना बनाने में 18 महीने से अधिक का समय लगा और इसे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की और सुरक्षा सेवा (SBU) के प्रमुख वासिल मलियुक की निगरानी में अंजाम दिया गया।

हमले की रणनीति और निष्पादन

यूक्रेनी एजेंटों ने विस्फोटकों से लैस ड्रोन को लकड़ी के शेड्स में छिपाकर ट्रकों के माध्यम से रूस के अंदर विभिन्न स्थानों पर पहुंचाया। इन शेड्स को हवाई अड्डों के पास स्थित किया गया था। पूर्व निर्धारित समय पर, इन शेड्स की छतें दूरस्थ रूप से खोली गईं और ड्रोन ने उड़ान भरकर लक्ष्यों को निशाना बनाया। यह रणनीति ट्रोजन हॉर्स की कहानी की याद दिलाती है, जहां दुश्मन के क्षेत्र में छिपकर हमला किया गया।

प्रमुख लक्ष्य और नुकसान

इस ऑपरेशन में रूस के पांच प्रमुख हवाई अड्डों को निशाना बनाया गया:

  • बेलाया एयर बेस (इरकुत्स्क, साइबेरिया)
  • ओलेन्या एयर बेस (मुरमांस्क)
  • ड्यागिलेवो एयर बेस (रियाज़ान)
  • इवानोवो सेवर्नी एयर बेस (इवानोवो)
  • यूक्रेनका एयर बेस (अमूर ओब्लास्ट)

यूक्रेन के अनुसार, इस हमले में 41 रूसी सैन्य विमान नष्ट या क्षतिग्रस्त हुए, जिनमें Tu-95, Tu-22M3, Tu-160 बमवर्षक और A-50 रडार विमान शामिल हैं। यह रूस के रणनीतिक बमवर्षक बेड़े का लगभग 34% है। इससे रूस की लंबी दूरी की मिसाइल हमलों की क्षमता पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।

एआई-संचालित ड्रोन और तकनीकी नवाचार

इस ऑपरेशन में उपयोग किए गए ड्रोन यूक्रेन के रक्षा तकनीकी क्लस्टर “Brave1” द्वारा विकसित किए गए थे। ये ड्रोन कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से लैस थे, जो उन्हें GPS या मानव नियंत्रण के बिना भी लक्ष्यों की पहचान और हमला करने में सक्षम बनाते हैं। इनकी लागत लगभग $10,000 प्रति ड्रोन थी, जो पारंपरिक मिसाइलों की तुलना में कहीं अधिक किफायती है।

रणनीतिक प्रभाव और वैश्विक प्रतिक्रिया

यह ऑपरेशन न केवल रूस की सैन्य क्षमताओं को कमजोर करने में सफल रहा, बल्कि इसने वैश्विक स्तर पर ड्रोन युद्ध की परिभाषा को भी बदल दिया है। छोटे, सस्ते और AI-संचालित ड्रोन का उपयोग करके बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाना पारंपरिक सैन्य रणनीतियों के लिए एक चुनौती बन गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भविष्य के युद्धों में तकनीकी नवाचार और असममित रणनीतियाँ निर्णायक भूमिका निभाएंगी।

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