‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’: नक्सलवाद के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई

केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ ऐतिहासिक ‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ को सफलतापूर्वक अंजाम देने वाले सुरक्षाबलों का नई दिल्ली में सम्मान किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने CRPF, छत्तीसगढ़ पुलिस, जिला रिजर्व गार्ड (DRG) और कोबरा बलों के जवानों की बहादुरी को सलाम करते हुए इस अभियान को अब तक का सबसे बड़ा एंटी-नक्सल ऑपरेशन करार दिया।
ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट: सफलता की कहानी
यह अभियान छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के कर्रेकुट्टालु पहाड़ी क्षेत्र में चलाया गया, जो नक्सलियों का एक मजबूत गढ़ माना जाता था। अत्यधिक गर्मी, ऊंचाई, और हर कदम पर छिपे आईईडी विस्फोटकों के खतरे के बावजूद, संयुक्त सुरक्षा बलों ने न केवल नक्सलियों के मुख्य बेस कैंप को ध्वस्त किया बल्कि उनके सामग्री भंडारण और आपूर्ति श्रृंखला को भी समाप्त कर दिया।
- 27 कुख्यात नक्सली मारे गए
- 54 नक्सली गिरफ्तार
- 84 ने आत्मसमर्पण किया(छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र में)
सरकार का संकल्प: 2026 तक नक्सल-मुक्त भारत
गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में दोहराया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार 31 मार्च 2026 तक भारत को नक्सल-मुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक सभी नक्सली या तो आत्मसमर्पण नहीं कर देते, पकड़ में नहीं आ जाते या मारे नहीं जाते।”
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हो रहा बदलाव
अमित शाह ने बताया कि पशुपतिनाथ से तिरुपति तक फैले 6.5 करोड़ लोगों के जीवन में अब एक नया सवेरा आया है। वर्षों तक नक्सलियों ने इन क्षेत्रों में स्कूल, अस्पताल बंद कर दिए थे और सरकारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचने नहीं दिया। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ● CoBRA (Commando Battalion for Resolute Action) बल की स्थापना 2009 में विशेष एंटी-नक्सल ऑपरेशनों के लिए की गई थी।
- ● District Reserve Guard (DRG) छत्तीसगढ़ की विशेष बल है, जिसमें स्थानीय युवाओं को भर्ती कर नक्सलियों से मुकाबले के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
- ● भारत में नक्सलवाद की शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गाँव से हुई थी।
- ● गृह मंत्रालय के अनुसार, 2022 की तुलना में 2023 में नक्सल घटनाओं में लगभग 30% की गिरावट आई थी।
घायल जवानों और बलों के लिए प्रतिबद्धता
गृह मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि जो जवान नक्सल विरोधी अभियानों में घायल हुए हैं, उनके पुनर्वास और कल्याण के लिए सरकार हरसंभव प्रयास करेगी। बलों की सुविधाओं और संसाधनों को सुदृढ़ करने की दिशा में भी सरकार प्रतिबद्ध है।
‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ केवल एक सैन्य विजय नहीं है, बल्कि यह भारत की आंतरिक सुरक्षा, लोकतंत्र और विकास के लिए नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक संघर्ष की प्रतीक बन चुकी है। यह सफलता दिखाती है कि जब दृढ़ इच्छाशक्ति, सटीक रणनीति और स्थानीय सहयोग एक साथ होते हैं, तो सबसे कठिन चुनौतियों को भी मात दी जा सकती है।