ऑपरेशन पोलो: जब भारतीय सेना ने हैदराबाद को भारत में विलय किया

13 सितंबर 2025 को ऑपरेशन पोलो की 77वीं वर्षगांठ है — वह सैन्य अभियान जिसने भारत के सबसे बड़े और महत्त्वाकांक्षी रियासतों में से एक, हैदराबाद, को भारत में मिला दिया। यह अभियान 13 सितंबर 1948 को शुरू हुआ और महज़ चार दिनों में हैदराबाद को भारतीय संघ में मिला लिया गया। इस ऑपरेशन का नेतृत्व मेजर जनरल जयंत नाथ चौधरी ने किया था।

हैदराबाद की स्थिति: एक स्वतंत्र इस्लामी राज्य की चाह

भारत की आज़ादी के समय 500 से अधिक रियासतें थीं, जिनमें से हैदराबाद सबसे बड़ी और शक्तिशाली रियासतों में से एक थी। 80,000 वर्ग मील से अधिक क्षेत्र में फैली इस रियासत की जनसंख्या लगभग 1.6 करोड़ थी — जिनमें अधिकांश हिंदू थे, लेकिन शासक मुस्लिम नज़ाम थे।
मीर उस्मान अली खान, हैदराबाद के सातवें नज़ाम, ब्रिटिश राज में विश्व के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक माने जाते थे। वे न केवल अपने राज्य की स्वतंत्रता चाहते थे, बल्कि ब्रिटिश क्राउन से सीधा संबंध भी बनाए रखना चाहते थे। उन्होंने अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए इंग्लैंड के मशहूर वकील सर वॉल्टर मंकटन को भी नियुक्त किया था।

सरदार पटेल की रणनीति और ‘विलय या कार्रवाई’ की चेतावनी

सरदार वल्लभभाई पटेल ने हैदराबाद के साथ समझदारी से बातचीत की और नवंबर 1947 में एक ‘स्टैंडस्टिल समझौता’ हुआ, जिससे हैदराबाद और भारत के बीच ब्रिटिश काल जैसी स्थिति बनी रही। लेकिन राज्य के भीतर माहौल बिगड़ता जा रहा था।

आंतरिक विद्रोह और रज़ाकारों की बर्बरता

हैदराबाद में आंध्र महासभा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने मिलकर जमींदारी और साम्प्रदायिक अत्याचार के खिलाफ किसानों को संगठित किया। इस बीच, नज़ाम का समर्थन करने वाली कट्टर इस्लामी संस्था इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन और इसके नेता कासिम रज़वी ने ‘रज़ाकार’ नामक एक निजी मिलिट्री संगठन बनाया, जिसने किसानों और आंदोलकारियों पर अत्याचार किए।
रज़ाकारों की हिंसा और राज्य की अस्थिरता को देखते हुए सरदार पटेल ने नेहरू को पत्र लिखा कि अब समय आ गया है कि भारत हैदराबाद से “निर्विरोध विलय” की मांग करे।

ऑपरेशन पोलो: निर्णायक सैन्य कार्रवाई

13 सितंबर 1948 को भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन पोलो’ शुरू किया। इसमें दो इंफेंट्री ब्रिगेड, एक आर्मर्ड ब्रिगेड, और कई राज्य बल शामिल थे। भारतीय वायुसेना ने भी बमबारी की।
चार दिनों के भीतर भारतीय सेना हैदराबाद शहर की सीमा तक पहुँच गई। 17 सितंबर को नज़ाम ने आत्मसमर्पण कर दिया और भारत में विलय को स्वीकार कर लिया। उसी रात उन्होंने रेडियो पर घोषणा की कि रज़ाकारों को भंग किया जाए और सभी नागरिक शांति से रहें।

विलय के बाद की स्थिति

  • नज़ाम को 1949 तक एक प्रतीकात्मक प्रमुख के रूप में रखा गया, लेकिन प्रशासन सेना के अधीन था।
  • 1952 में हैदराबाद में पहले चुनाव हुए और लोकतांत्रिक शासन की शुरुआत हुई।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ऑपरेशन पोलो को ‘पुलिस एक्शन’ कहा गया, ताकि इसे युद्ध न माना जाए।
  • हैदराबाद का भारत में विलय, जूनागढ़ और कश्मीर के संदर्भ में भी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण था।
  • हैदराबाद राज्य में तीन प्रमुख भाषाएँ बोली जाती थीं: तेलुगु, कन्नड़ और मराठी
  • ऑपरेशन पोलो के दौरान भारत ने 5 दिन के भीतर पूरी हैदराबादी सेना और रज़ाकारों को पराजित किया।

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