ऑपरेशन चक्र‑V: शेल कंपनियों और डिजिटल चालबाज़ी के माध्यम से करोड़ों की ऑनलाइन ठगी का खुलासा

ऑपरेशन चक्र‑V के तहत तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में की गई खोजबीन ने डिजिटल युग की जटिल आर्थिक अपराध रणनीतियों को उजागर कर दिया है। गृह मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) से प्राप्त इनपुट के आधार पर दर्ज इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने पाया कि हजारों निर्दोष नागरिकों को ऑनलाइन निवेश योजनाओं और पार्ट‑टाइम नौकरियों के झाँसे में करोड़ों रुपए का शिकार बनाया गया। यह मामला पारंपरिक धोखाधड़ी से कहीं अधिक परिष्कृत और बहु‑स्तरीय मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का उदाहरण है।
धोखाधड़ी का तरीका और भेदभावपूर्ण साधन
जांच में 밝혖ा गया कि गिरोह ने सोशल मीडिया, मोबाइल ऐप्स और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग सर्विसेज का इस्तेमाल कर पब्लिक को आकर्षित किया। डिजिटल विज्ञापनों, बल्क‑SMS अभियानों और सिम‑बॉक्स कम्युनिकेशन सिस्टम के माध्यम से बड़े पैमाने पर भर्ती की गई। टेलीग्राम और व्हाट्सऐप जैसे प्लेटफॉर्म पर लोगों को नौकरी व निवेश के बहाने लुभाया गया और उनसे KYC दस्तावेज जुटाकर फर्जी प्रोफाइल बनाए गए। इसके जरिए न केवल फंड इकट्ठा किए गए, बल्कि वास्तविक पहचान छिपाकर शेल संस्थाओं की आड़ में लेनदेन को वैधता भी दी गई।
शेल कंपनियों और जाली अधिकारी बनाम भोले‑भाले निदेशक
CBI के अनुसार आरोपियों ने मुख्यतः बेंगलुरु से संचालित शेल कंपनियों का जाल तैयार किया था। कई अनजान व्यक्तियों को पार्ट‑टाइम नौकरी का लालच देकर इन कंपनियों का निदेशक बनाकर कानूनन चेकबॉक्स पार कर लिया गया। धोखाधड़ी में फर्जी डिजिटल सिग्नेचर और जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर अनेक कंपनियों का पंजीकरण कराया गया और अनेक बैंक खाते खोले गए। इस तरह के फ्रॉड से संस्थागत ढाँचे का दुरुपयोग कर पीड़ितों के पैसे कुशलतापूर्वक कटे गए।
धन का अस्पष्टकरण और अंतरराष्ट्रीय रास्ते
जांच से यह भी पता चला कि इकट्ठा किए गए धन को सेट‑ऑफ करने के लिए परतदरपरत (लेयरिंग) तकनीक अपनाई गई। भुगतान गेटवे, UPI प्लेटफॉर्म और क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों के माध्यम से पैसे को विभाजित कर अलग‑अलग चैनलों में भेजा गया, ताकि मूल स्रोत का पता न चल सके। बड़ी राशियों का रूपांतरण क्रिप्टोकरेंसी, सोने या गुप्त माध्यमों से विदेश प्रेषण के रूप में किया गया। मामले में कई भारतीय नागरिकों को विदेशी नियंत्रित इकाइयों के निर्देशानुसार काम करते हुए भी ट्रेस किया गया है, जो अवैध ऑनलाइन जुए और निवेश धोखाधड़ी से जुड़े रहे।
जांच की प्रगति और कानूनी चुनौतियाँ
CBI ने कहा है कि वह शेल संस्थाओं से जुड़े वित्तीय फ्लो का गहन पता लगा रही है और संबंधित खातों की पड़ताल कर रही है। जटिल डिजीटल साक्ष्यों, विदेशी निकासी और क्रिप्टो लेनदेन की गहन जाँच के कारण मामले की बारिकी और व्यापकता सामने आ रही है। इस तरह के मामलों में जिम्मेदार ठहराने, लोक‑निवेशित निदेशकों की रक्षा करने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से धन की रिकवरी मुख्य चुनौतियाँ बनी रहती हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- I4C (Indian Cyber Crime Coordination Centre) गृह मंत्रालय के अंतर्गत साइबर अपराध तालमेल के लिए कार्यरत है।
- सिम‑बॉक्स सिस्टम वॉयस ट्रैफिक को इंटरनेट के माध्यम से रूट कर कॉल के स्रोत को छुपा सकता है।
- शेल कंपनियाँ अक्सर कानूनी रूप से मान्य दिखती हैं पर वास्तविक व्यावसायिक गतिविधि नहीं करतीं; इन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के लिए प्रयोग किया जाता है।
- क्रिप्टोकरेंसी और बहु‑स्टेप पेमेंट गेटवे मनी‑ट्रेल छुपाने में अपराधियों के लिए सुविधाजनक साधन बन गए हैं।